मंगलवार

मजदूर दिवस

मजदूर दिवस
आओ बच्चों तुम्हें बताएं मजदूर दिवस की बातें खास। श्रमिक दिवस कहते क्यों इसको आओ हम जानें इतिहास।। एक मई सन 1886 की जानो तुम बात। अंतर्राष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस की हुई शुरुआत।। 10 से 16 घंटों तक तब काम कराया जाता था। उस अवसर पर नहीं इन्हें मानव भी समझा जाता था।। चोटें...

शुक्रवार

मेरे बाबू जी

मेरे बाबू जी
'आप पुराने जमाने के आधुनिक पिता थे।' जिस उम्र में बेटियाँ किसी को नमस्ते कहते हुए शर्मा कर माँ के आँचल के पीछे दुबक जाया करती थीं, उस उम्र में मैं आपकी उँगली पकड़ आपके पीछे दुबका करती थी। ऐसा नहीं है कि मुझे अम्मा की कमी नहीं महसूस होती थी लेकिन अम्मा के साथ होने पर...

बुधवार

समीक्षा- 'कवच'

 वर्तमान परिवेश के धरातल पर रची गई काल्पनिक सत्य है 'कवच' मानव का परिपक्व मन समाज की, परिवार की हर छोटी-बड़ी घटना से प्रभावित होता है और एक साहित्यकार तो हर शय में कहानी ढूँढ़ लेता है। आम व्यक्ति जिस बात या घटना को दैनिक प्रक्रिया में होने वाली मात्र एक साधारण...

शनिवार

जब से तुम आए सत्ता में (व्यंग्य)

जब से तुम आए सत्ता में (व्यंग्य)
जब से तुम आए सत्ता में एक भला न काम किया क्यों न तुम्हारी करें खिलाफत हर दिशा में हलचल मचा दिया आराम पसंद तबके को भी काम में तुमने लगा दिया चैन की बंसी जहाँ थी बजती मचा वहाँ कोहराम दिया क्या कहने सरकारी दफ्तर के आजादी से सब जीते थे बिना काम ही चाय समोसे ऐश में जीवन बीते...

शुक्रवार

चयन का अधिकार

चयन का अधिकार
व्यथित हृदय मेरा होता था देख के बार-बार, राष्ट्रवाद को जब जहाँ मैं पाती थी लाचार। संविधान ने हमें दिया है चयन हेतु अधिकार, राष्ट्रहित के लिए बता दो किसकी हो सरकार। लालच की विष बेल बो रहे करके खस्ता हाल, जयचंदों को आज बता दो नहीं गलेगी दाल। चयन हमारा ऐसा जिससे बढ़े देश...

गुरुवार

अधिकार और कर्तव्य

अधिकार और कर्तव्य
अधिकार और कर्तव्य अपने बीते हुए समय पर विचार करें तो ऐसा प्रतीत होता है कि समय की गति कितनी तीव्र है। आज से बस कुछ दशक पहले के लोग और उनके विचारों की तुलना वर्तमान से करें तो देखेंगे कि पहले लोग कर्म तो करते थे परंतु अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नही थे और इसी कारण अक्सर...

बुधवार

गरीबों की नाव पर राजनीति की सवारी

गरीबों की नाव पर राजनीति की सवारी
सत्ता के इस महासंग्राम में कुछ राजनीतिक पार्टियों द्वारा गरीब को सदैव सारथी बनाया जाता है। जो कि अपने गरीबी के रथ पर बैठाकर अमीरी की ओर बढ़ती इन राजनीतिक पार्टियों को इस महा संग्राम के चुनावी रणक्षेत्र से बाहर विजयी बनाकर निकालता है। हमेशा इन्हीं गरीब सारथियों के सहारे...