आओ बच्चों तुम्हें बताएं मजदूर दिवस की बातें खास।
श्रमिक दिवस कहते क्यों इसको आओ हम जानें इतिहास।।
एक मई सन 1886 की जानो तुम बात।
अंतर्राष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस की हुई शुरुआत।।
10 से 16 घंटों तक तब काम कराया जाता था।
उस अवसर पर नहीं इन्हें मानव भी समझा जाता था।।
चोटें खाकर लहूलुहान तक हो जाते थे इनके गात।
महिला, पुरुष, और बच्चों की मृत्यु का बढ़ता अनुपात।।
लिया गया तब अधिकारों के हनन रोकने का संकल्प।
मजदूर संघ ने हड़तालों को माना था तब मात्र विकल्प।।
शुरू किया विरोध प्रदर्शन करेंगे हम कितना काम,
आठ घंटे तय हों केवल काम के और उचित हों दाम।।
घटित हुई थी दुर्भाग्यपूर्ण घटना एक उस दौरान।
बम फोड़ गया शिकागो में कोई मानव रूपी श्वान।।
तैनात पुलिस थी पहले से ही लगी चलाने गोली,
मजदूर मासूमों के खून से उसने खेली होली।
इस नरसंहारक घटना को सब भूल भला कैसे जाते।
याद में उन निर्दोषों की हम सब श्रमिक दिवस मनाते।।
तीन वर्ष फिर बीत गए पर नहीं बुझी यह आग।
इस संहारक घटना से फिर मानवता गई जाग।।
सत्र 1889 के समय में जागा फिर से जोश।
समाजवादी सम्मेलन में फिर हुआ एक उद्घोष।।
श्रमिकों का संहारक दिवस अब श्रमिक दिवस कहलाएगा।
सब अधिकारों के साथ श्रमिक इस दिन अवकाश मनाएगा।
दुनिया के 80 देशों ने सहर्ष इसे स्वीकार किया।
तब नवीन रूपों में सबने इस दिन को सँवार दिया।।
यूरोप में तो इसको बसंत का पर्व भी माना जाता है।
आज के दिन हर श्रमिक सभी से उच्च सम्मान को पाता है।।
आओ बच्चों आज मनाएँ श्रमिक दिवस हम शान से।
उनके दिवस को खास करेंगे हम उनके सम्मान से।।
कर्तव्यों को निभाता है वह पूरे जी और जान से।
फिर क्यों वह वंचित रह जाए उचित मान-सम्मान से।।
चित्र- साभार गूगल से
मालती मिश्रा 'मयंती' ✍️
बहुत ही खूबसूरती से आपने मजदुर दिवस की व्याख्या की हैं ,लाजबाब मालती जी ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंसादर आभार कामिनी जी।
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