शुक्रवार

योग का महत्व

 योग का महत्व

योग एक आध्यात्मिक प्रकिया है जिसके अंतर्गत शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम होता है अर्थात् योग के द्वारा एकाग्रचित्त होकर तन और मन को आत्मा से जोड़ते हैं। गीता में श्रीकृष्ण ने एक स्थल पर कहा है 'योगः कर्मसु कौशलम्‌' अर्थात् योग से कर्मो में कुशलता आती है। हमारे देश का प्राचीन इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है, हमारा देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है और उस समय ऋषि-मुनि नित्य योग क्रिया करते थे, कदाचित् इसीलिए वर्तमान समय में बहुत से लोग इसे धर्म से जोड़कर देखते हैं और इसका विरोध करते हैं किन्तु इसे धर्म से जोड़ना सर्वथा गलत ही है और धर्म से जोड़कर इसे न अपनाने के सिर्फ दो ही कारण हो सकते हैं, एक तो अज्ञानता और दूसरा राजनीतिक कारण। यदि इन दो कारणों को छोड़ दिया जाए तो योग का विरोध करने या इसे न अपनाने का कोई औचित्य नहीं।
वर्तमान समय में रोजमर्रा के भागमभाग भरे जीवन, प्रदूषण से युक्त वातावरण, अशुद्ध और अनियमित आहार, अनियमित जीवनशैली के कारण लोग मानसिक तनाव, शारीरक व मानसिक अस्वस्थता जैसी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं, हर दस में से छः व्यक्ति मोटापे का शिकार दिखाई देता है। ऐसी परेशानियों से आराम पाने के लिए वो दवाइयाँ लेना प्रारंभ करते हैं और धीरे-धीरे उनका जीवन ही दवाइयों पर निर्भर हो जाता है। साथ ही लोग मोटापे से राहत पाने के लिए व्यायाम करते हैं, बहुधा लोग दिन में कई- कई घंटे व्यायामशाला में व्यतीत करते हैं और कोच की सलाह पर तरह-तरह के हेल्थ पाउडर आदि पर पैसा पानी की तरह बहाते हैं। योग इन सारी समस्याओं का एकमात्र उपाय है। योग करने से हमारे मस्तिष्क को शांति मिलती है, ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती है, तनाव से मुक्ति मिलती है, कार्य करने में मन लगता है, यह न सिर्फ हमारे मस्तिष्क को ताकत पहुँचाता है बल्कि हमारी आत्मा को भी शुद्ध करता है। शरीर की अलग-अलग समस्याओं के लिए अलग-अलग योगासन होते हैं। जो व्यक्ति नियमित रूप से योग करते हैं वो शारीरिक व मानसिक व्याधियों से दूर रहते हैं। अतः योग को दैनिक जीवन में नियमित रूप से अपनाना चाहिए ताकि बीमारियों, कुंठाओं से दूर रहकर एक स्वस्थ, सकारात्मक और सार्थक जीवन का लाभ उठाया जा सके।
प्रात: काल का समय, योग करने के लिए सर्वथा उपयुक्त होता है। सुबह के समय वातावरण स्वच्छ होता है और ऐसे वातावरण में
योग करने से व्‍यक्‍ति के मस्‍तिष्‍क तथा शरीर की सभी इंद्रियाँकी गतिमान होती हैं, जिससे व्‍यक्‍ति का मन एकाग्र होकर कार्य करता है। योग रूपी साधना का जीवन में होना आवश्यक  है। यह एक ऐसी दवा है, जो बगैर खर्च के रोगियों का इलाज करने में सक्षम है। वहीं यह शरीर को ऊर्जावान बनाए रखता है। यही कारण हैं कि युवाओं द्वारा बड़े पैमाने पर जिम और एरो‍बि‍क्‍स को छोड़कर योग अपनाया जा रहा है।
योग हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और वर्तमान समय में १७७ से भी अधिक देशों ने इसकी महत्ता को समझा और अपनाया है।
अंग्रेजी दवाइयों के आदी हो चुके नई पीढ़ी के लोगों में जब विभिन्न संस्थाओं द्वारा योग के प्रति जागृति लाने का प्रयास किया गया तथा इन्होंने विदेशों में भी योग के प्रति रुझान को जाना तब अपनी संस्कृति की ओर इनका भी रुझान हुआ। हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री ने २७ सितंबर २०१४ को संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग की विशेषताओं पर भाषण देकर इसके महत्व को बताया जिसके फलस्वरूप १९९ सदस्यों की इस संस्था में से १७७ देशों ने २१ जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्य किया और तब से प्रत्येक वर्ष साल के सबसे बड़े दिन २१ जून को विश्व स्तर पर योगदिवस मनाया जाने लगा। साथ ही स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के सहयोग से योग को सम्पूर्ण विश्व में प्रसारित कर मानव कल्याण हेतु निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं। एक नए भारत के अभ्युदय हेतु आचार्यकुलम् की भी स्थापना की गई, जिससे यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त कर निकले विद्यार्थी भविष्य में भी भारतीय संस्कृति के वाहक बनें और योग को आगे ले जाने का स्रोत बने।

मालती मिश्रा 'मयंती'✍️

6 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 21/06/2019 की बुलेटिन, " अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2019 - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. उत्तर
    1. अनीता सैनी जी उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार

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  3. सार्थक जानकरी !

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