मैं..मैं हूँ...मैं आज की नारी हूँसक्षम और सशक्त हूँशिक्षित और जागृत हूँसंकल्पशील आवृत्ति हूँनारी की सीमाओं सेमान और मर्यादाओं सेपूर्ण रूर्पेण परिचित हूँपरंपरा की वाहक हूँसंस्कृति की साधक हूँघर-बाहर की दायित्वों कीअघोषित संचालक हूँपढ़ी-लिखी परिपूर्ण हूँस्वयं में संपूर्ण...
मैं...मैं हूँ

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कविता