सोमवार

अतिथि देवो भव

                            अतिथि देवो भव 

भारत एक ऐसा देश है जहाँ सभी धर्मों का समन्वय देखने को मिलता है ा दुनिया के लगभग सभी धर्मों को मानने वाले हमारे देश मे मिल जाएँगे, सभी धर्मों का सम्मान भी होता है ा
"वसुधैव कुटुम्बकम्" सिर्फ शब्द नहीं इस देश का प्राण है ा सभी को मनचाहा धर्म अपनाने का अधिकार भी है, जिस तरह एक गुलिस्तां या बगिया मे भिन्न-भिन्न प्रकृति और सुगंध के फूल खिले हुए हों और दूर से देखकर अत्यंत मोहक लगते हैं, उसी प्रकार हमारा देश भी विभिन्न धर्म रूपी फूलों से सजा हुआ है और सभी धर्मों को समान दृष्टि से देखने या यूँ कहूँ कि समान अधिकारों की वजह से यह 'धर्म निरपेक्ष' राष्ट्र कहा जाता है ा ऐसा क्यों है कि सिर्फ यही देश सभी धर्मों को एक साथ समन्वित कर सका ? ऐसा इसकी संस्कृति के कारण ही संभव हो पाया है, "अतिथि देवो भव" भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र है, ऐसा दुनिया के किसी भी कोने मे देखने को नही मिलता, अपनी इसी परंपरा के तहत जिस भी धर्म और संस्कृति को मानने वाले यहाँ आए भारत ने उन्हे बिना शर्त ससम्मान सिर आँखों पर बैठाया, जहाँ इतना प्यार और सम्मान मिलता हो वहाँ से कोई क्यों जाए वो इसी परिवार का अंग या यूँ कहें कि अभिन्न अंग बनते गए ा
पर कहते हैं न कि मेहमान कुछ दिनों तक ही शोभायमान होते हैं अन्यथा मेजबानों का ही जीना दूभर कर देते हैं, ऐसा क्या इस देश मे नही हुआ?
मूलतः भारत यानि हिन्दुस्तान हिन्दू राष्ट्र है पर आज की स्थिति पर यदि गौर करें तो यहाँ हिन्दुओं की ही स्थिति दयनीय हो गई है, राजनीति के चलते हिन्दुओं को हिंदुस्तान मे ही अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ रही है ा राजनीतिक पार्टियाँ किसी अन्य धर्म के प्रति एक व्यक्तिगत मसले या अपराध को राजनीतिक व धार्मिक रूप बनाकर  ऐसे पेश करती हैं जैसे कि किसी के धर्म पर हिंदुत्व ने प्रहार किया हो, और प्रसिद्धि पाने के लिए मीडिया भी ऐसी खबरों को नमक-मिर्च लगाकर दिखा-दिखा कर जनता मे आक्रोश बढ़ाने का काम करती है, वहीं दूसरी तरफ हिंदू धर्म के प्रति हुए अपराध भी कहीं दब-छिप कर रह जाते हैं ा ऐसी परिस्थिति में कुछ स्वार्थी लोग मीडिया और राजनेताओं की इन नीतियों का गलत फायदा उठाते हैं उदाहरण के लिए अभी मुंबई की मिस्बाह की घटना को ही लें, धर्म को आधार बनाकर किस प्रकार उन्होंने अपने अपराध को छिपाते हुए बिल्डर को ही दोषी बता दिया ा दूसरा उदाहरण हम कश्मीरी पंडितों का ही ले सकते हैं, जिन मुस्लिमों से वो कुछ दशक पहले अपना भाईचारा निभाते थे आज उन्हीं लोगों ने उन्हें ऐसा बेघर किया है कि उन्हें अपने ही घर मे अपने अस्तित्व के लिए लड़ना पड़ रहा है ा जब मेहमान मेजबान को ही घर से बेघर करने लगेगा तो कौन किसी को अपना अतिथि बनाना चाहेगा?
धर्मनिरपेक्ष कहे जाने वाले राष्ट्र भारत में सम्मान तो सभी धर्मों का है यदि कुछ स्वार्थी समाज के ठेकेदार हैं कहे जाने वाले राजनीतिक पार्टियों के कर्ता-धर्ता इस देश को धर्म के नाम पर न बाँटें तो ा
दूर से गुलिस्तां के जैसे सुंदर दिखाई देने वाले भारत के दर्द को जो समझ लेगा वो धर्म निरपेक्ष बेशक कहलाना चाहे पर अपनी स्थिति उस मेजबान के जैसी तो बिल्कुल नहीं होने देगा जो अपने ही घर में अपने मेहमान के समक्ष विवश खड़ा हो ा
ऐसी स्थिति देश मे आई क्यों? वसुधैव कुटुम्बकम् का नारा लगाने वालों में इतना द्वेष और वैमनस्य क्यो???
यदि हम इसका उत्तर ढूँढ़ने का प्रयास करें तो पाएँगे कि गरीबी और अशिक्षा ही इसका मूल कारण है, चंद शिक्षित वर्ग जनता केे भोलेपन का फायदा उठाकर समाज के ठेकेदार बनकर जनता को गुमराह करते हैं और उन्हें आपस मे लड़वा कर दूर खड़े होकर तमाशा देखते हैं ा
इन परिस्थितियों से बाहर निकलने का एक ही रास्ता है शिक्षा व जागरूकता ा पर ये इतना आसान भी नहीं, क्योंकि समाज के ठेकेदार जानते हैं कि यदि जनता जागरूक हो गई तो इनका अस्तित्व खतरे मे पड़ जाएगा ा इसलिए ये तरह-तरह से जनता को भ्रमित करते हैं और आगे भी करते रहेंगे, अब यह व्यक्ति पर निर्भर है कि वह किस तरह स्वयं को इन कुचक्रों से बाहर निकाले.....

4 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे देश की संस्कृति ही इसे अन्य देशों से अलग पहचान दिलाती है, 'अतिथ देवो भव' यहाँ की प्राचीन परंपरा रही है, जिसके तहत इस देश ने हर धर्म, हर जाति को समान भाव से अपनाया और एक धर्म निरपेक्ष राष्टर बन गया, किन्तु इसकी धर्म निर्पेक्षता ही आज इसके प्राण हिंदुत्व के लिए मुश्किलों का सबब बनता जा रहा है, आज मेेजबान स्वयं अपने ही घर मे पराया सा हो गया है, मेरे इन्ही विचारों को प्रस्तुत करने का प्रयास है यह लेख......

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  2. "अतिथि देवो भव"
    "वसुधैव कुटुम्बकम्" --- माना की यह भारत की आत्मा है, जान है ,पर क्या यह फलीभूत हो रहा है
    जीवन जीने, घर परिवार को बचाने, अपने अपने में मगन रहने वाले लोग क्या जाने की भारत की आत्मा क्या है --
    भारतीय मानसिकता को झंझकोरता और सचेत करता आलेख
    उत्कृष्ट प्रस्तुति --
    सादर

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  3. धन्यवाद ज्योति खरे जी, आपके अनमोल शब्दों से मेरी लेखनी को बल मिलेगा

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  4. धन्यवाद ज्योति खरे जी, आपके अनमोल शब्दों से मेरी लेखनी को बल मिलेगा

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