राम चंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
सत्य छिपेगा घरों के भीतर
असत्य ही ढोल बजाएगा
मेहनत करने वाला मानव
हर चीज की तंगी झेलेगा
चोर और भ्रष्टाचारी
छप्पन भोग लगाएगा
झूठ के भ्रम जाल में जन-जन
इस कदर फँस जाएगा
सच्चाई के पथगामी पर
प्रतिक्षण आरोप लगाएगा
मोहमाया के वशीभूत हो
आँखों देखी मक्खी निगलेगा
सत्य का गला घोंट के भइया
झूठ के पाँव पखेरेगा
रामचंद्र कह गए सिया से
ऐसा कलयुग आएगा
सच्चाई को रौंद के झूठ
चैन की बंसी बजाएगा..
मालती मिश्रा
बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद मधूलिका जी
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद मधूलिका जी
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