कहें मोदी सुनो भई साधो
सच्चाई से मुँह न मोड़
देश को अगर चमकाना है तो
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर
सम-विषम के भ्रम में पड़कर
ध्यान न लगाना दुर्गुणता की ओर
देश को आगे बढ़ाना है तो
जन-जन जाने स्टार्ट-अप का जोर
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर
जीवन का बस लक्ष्य यही रखना
कोई न बढ़े निर्बलता की ओर
मन में सुरक्षा लाना है तो
खुद को जन-धन योजना से जोड़
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर
घर-घर में हो ज्ञान का उजाला
छँटे अँधेरा हो जाए भोर
जन-जीवन आलोकित करना है तो
शिक्षा का घर-घर पहुँचे शोर
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर
माना कि पथ में बाधाएँ बहुत हैं
फिरभी बुराई का कब चला है जोर
भ्रष्टाचार मिटाना है तो
चल पड़ो जीरो टॉलरेंस की ओर
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर
आरक्षण का छोड़ के ड्रामा
बढ़ते जाओ गुणवत्ता की ओर
आर्थिक समानता गर पाना है तो
मन सबके साथ सबके विकास से जोड़
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर
दलित न पिछड़ा सब बस मानव
सबके हाथ विकास की डोर
ऊँच-नीच का भेद मिटाना है तो
मेक-इन-इंडिया पे लगा दो जोर
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर
नारी को सम्मान है देना
शिक्षा पर है सबका जोर
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ
चलो सुकन्या योजना की ओर
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर
राजनीति का चक्रव्यूह यूँ
तुम्हें भरमाए करके शोर
कृषकों को उन्नत करना है तो
चलो थामें जैविक कृषि की डोर
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर
ध्यान लगाकर बढ़ मंजिल पर
कोई मचाए कितना भी शोर
शिकायत की झाड़ू न इल्जाम का पोछा
मनवा लागे प्रतिबद्धता की ओर
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर
कहें मोदी सुन भाई साधो
सोने को घर में न बाँधो
धन की वृद्धि सुनिश्चित करना है तो
चलो चलें मुद्रा योजना की ओर
देश को गर चमकाना है तो
चलो एक कदम स्वच्छता की ओर....
मालती मिश्रा...
एक कविता में बहुत कुछ बता दिया। कविता में सागर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनीष जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनीष जी
जवाब देंहटाएं