रविवार

आब-ए-आफ़ताब

आब-ए-आफ़ताब
आब-ए-आफ़ताब अनुपम स्पंदन शबनम सा तेरी आँखों मे जो ठहर गया, दिल में छिपे कुछ भावों को चुपके से कह के गुजर गया। बनकर मोती ठहरा है जो तेरी झुकी पलकों के कोरों पर, उसकी आब-ए-आफ़ताब पर ये दिल मुझसे मुकर गया। जिन राहों पर चले थे कभी थाम हाथों में हाथ तेरा, देख तन्हा उन्हीं...

शनिवार

नोटबंदी के मारे नेता बेचारे

नोटबंदी के मारे नेता बेचारे
चुनाव के वक्त सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपने-अपने अलग-अलग घोषणा-पत्र तैयार करती हैं और सभी के चुनावी घोषणा पत्रों में कुछ बातें कॉमन होती हैं, जो घोषणा सौ प्रतिशत सभी पार्टियाँ शामिल करती हैं वो है भ्रष्टाचार का उन्मूलन, कालाधन पर रोक, कालेधन की वापसी आदि। परंतु सत्ता...

शुक्रवार

अन्तर्ध्वनि

अन्तर्ध्वनि
अन्तर्ध्वनि...... कभी-कभी हमारी जिह्वा कुछ कहती है और हमारा हृदय कुछ और, कभी-कभी हमारा मस्तिष्क कुछ निर्णय लेता है किंतु हमारा हृदय कतराता है, कभी-कभी हम वह नहीं सुनना चाहते जो हमारा हृदय हमें बतलाता है। अक्सर हमें मस्तिष्क की बात भली लगती है और हृदय की बुरी, कभी-कभी हम...

मंगलवार

चेहरों के उतरते नकाब

चेहरों के उतरते नकाब
चेहरों के उतरते नकाब.... मन की बात कह-कह हारे पर मुफ्त खोर अब भी हाथ पसारे। कालेधन पर किया स्ट्राइक फिर भी पंद्रह लाख गुहारे। काला हो या श्वेत रूपैया इनको बस है नोट प्यारे। भ्रष्टाचार मिटाएँगे सबको स्वराज दिलाएँगे। लोकतंत्र को रोपित करने आए थे धरनों के मारे। लक्ष्य...

शनिवार

आई आहट आने की

आई आहट आने की
आई आहट आने की ऊषा के मुस्काने की रक्तिम वर्ण बिखराने की तारक के छुप जाने की मयंक पर विजय पाने की तमी के तम को हराने की विजय ध्वज लहराने की सोई अवनी को जगाने की ओस के मोती बिखराने की सूरज के मुस्काने की रश्मिरथी के आने की आई आहट आने की कलियों के खिल जाने...

बुधवार

क्यों व्यथित मेरा मन होता है

क्यों व्यथित मेरा मन होता है
क्यों व्यथित मेरा मन होता है कल्पना में उकेरा हुआ घटनाक्रम पात्र भी जिसके पूर्ण काल्पनिक  चित्रपटल पर देख नारी की व्यथा  सखी क्यों मेरा हृदय रोता है क्यों व्यथित....... नहीं कोई सच्चाई जिसमें महज अंकों में बँधा नाटक है नारी पात्र की हर घटना...

सोमवार

नेता जी की फिक्र..

नेता जी की फिक्र..
नेता जी की फिक्र.... राजनीति से मेरा दूर-दूर का कोई नाता नहीं और न ही मुझे कभी राजनीति में कोई दिलचस्पी रही परंतु अपने देश से हमेशा से प्रेम किया... देशभक्ति का जज़्बा सदा से मन में रहा, हमेशा देश को व्यक्तिगत हितों से ऊपर माना इसीलिए बचपन में जिस किसी नेता को देशहित...

शनिवार

बेटी

बेटी
 सूरज सिर पर चढ़ आया और रवि है कि अभी भी सो रहा है और वही क्यों श्रिति भी सो रही है। नेहा उसे कई बार जगा चुकी पर वो अभी उठती हूँ कहकर करवट बदल कर सो जाती। रवि को वह जगाना छोड़ चुकी है, उसका मानना है कि दोनों बच्चों को देर तक सोने की आदत उसी की वजह से है। अविका...

गुरुवार

वो जिंदगी नही जो वक्त के साथ गुजर गई, वो इश्के खुमारी नहीं जो गर्दिशों में उतर गई। उजाले में तो साथ अजनबी भी चल देते हैं, हमसफर नही अंधेरों में जिनकी राहें बदल गईं। औरों के लिए जो इस जहाँ में जिया करते हैं, न सिर्फ यही उसकी तो दोनों जहानें सँवर गईं। माना कि राहे...

रविवार

यादों में तुम

यादों में तुम
 आते हो हर पल यादों में तुम, मेरे तन्हा मन को बहलाने को। बैठ मुंडेरी बाट जोहती, चंदा संग तेरे आने को। कुछ कहने को कुछ सुनने को, कुछ रूठने और मनाने को। पल-पल में जो सँजो रखा है, वो हाले दिल सुनाने को। व्याकुल मन मेरा सोच घबराए, नए-नए से जुगत लगाने को। शशि...

बुधवार

अँधेरा मेरे मन का

अँधेरा मेरे मन का
दीप जलाया गलियों में हर घर के हर कोनों में, सकल जग जगमग करने लगा पर मिटा न अँधेरा मेरे मन का। स्वच्छता अभियान की राह चला हर गली नगर को साफ किया, घर-आँगन सब स्वच्छ हुआ पर धूल हटा न मेरे जीवन का। क्यों असर नहीं सच्चाई का जीवन की हर अच्छाई का, उत्तर ढूँढ़ने...