हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि आर्थिक रूप से समर्थ लोग अपनी गैस सब्सिडी छोड़ दें ताकि गरीबों की मदद हो सके, बहुतों ने किया भी, इस बात को देखकर जहाँ खुशी होती है वहीं दूसरी ओर ये देखकर दुख भी होता है कि हमारे समाज में आर्थिक रूप से सम्पन्न ऐसे भी लोग हैं जो सर्वसंपन्न होते हुए भी गरीबों का हक मारने में नहीं चूकते।
देखने में आता है कि वो वृद्ध महिला जिनके नाम करोड़ों की प्रॉपर्टी हो और बतौर किराया जिसकी खुद की मासिक आय 50-60 हजार रूपए हों, जिनपर उनकी इच्छा के विरुद्ध किसी बेटे-बेटी का अधिकार न हो, उन्हें वृद्धा पेंशन की क्या आवश्यकता? यदि वो इसे छोड़ दें तो क्या ये धन किसी गरीब के काम नहीं आएगा? सरकार को एलिजिबिलिटी तय करने के पैमाने के साथ-साथ जनता से इस बात की अपील भी करनी चाहिए।
#मालतीमिश्रा
देखने में आता है कि वो वृद्ध महिला जिनके नाम करोड़ों की प्रॉपर्टी हो और बतौर किराया जिसकी खुद की मासिक आय 50-60 हजार रूपए हों, जिनपर उनकी इच्छा के विरुद्ध किसी बेटे-बेटी का अधिकार न हो, उन्हें वृद्धा पेंशन की क्या आवश्यकता? यदि वो इसे छोड़ दें तो क्या ये धन किसी गरीब के काम नहीं आएगा? सरकार को एलिजिबिलिटी तय करने के पैमाने के साथ-साथ जनता से इस बात की अपील भी करनी चाहिए।
#मालतीमिश्रा
अपने देश में यही इक कमी है ... जितना मिले थोडा लगता है ...
जवाब देंहटाएंकाश हम समझ पाते ...
बहुत-बहुत सर अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराकर उत्साह बढ़ाने के लिए।
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