गुरुवार

जीना नहीं है आसान खुद को भुला करके नया शख्स बनाना है खुद को मिटा करके मिटाकर दिलो दीवार से यादों के मधुर पल इबारत है नई लिखनी पुरानी को मिटा करके माना कि जी रहे हम दुनिया की नजर में चाँद भी मुस्काया मेरी हस्ती को मिटा करके भाती बहुत हैं मन को गगन चूमती इमारतें रखी नींव...
श्रद्धा से दस दिन घर में सत्कार किया, पूजा हवन और भोग श्रृंगार किया। अवधि समाप्त हुई चले यूँ विसर्जन को, ढोल और मृदंग नाच गान उपहार दिया। करके विसर्जन तुम कार्य मुक्त हो गए, जब जहाँ जगह मिली पानी में उतार दिया। पूजते हो मुझे और पूजते हो नदियों को, देखो आज तुमने दोनों का...

बुधवार

आज के परिप्रेक्ष्य में मानवाधिकार

आज के परिप्रेक्ष्य में मानवाधिकार
आज के परिप्रेक्ष्य में मानवाधिकार वर्तमान परिदृश्य में मानवाधिकार का बहुत बोलबाला है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि हमारा समाज बहुत सभ्य, सुसंस्कृत और दयालु होता जा रहा है परंतु जब सत्य के धरातल पर उतर कर देखते हैं तो यह  *मानवाधिकार* शब्द बहुत भ्रमित करता है। मुझे...

सोमवार

मेरे हिन्दी अध्यापक

मेरे हिन्दी अध्यापक
विषय- *मेरा पसंदीदा व्यक्तित्व* विधा- *संस्मरण* आज *हिन्दी दिवस* है, इसलिए सभी साहित्यकारों का मन मचलता है हिन्दी भाषा के लिए लिखने को....मेरा भी मन हुआ..तब आज के विषय को लेकर मेरे मस्तिष्क में सवाल आया कि ऐसा कौन सा व्यक्तित्व है जिसे मैं आज *हिन्दी दिवस* के दिन याद...

शनिवार

चुनाव

चुनाव
चुनाव दोपहर की चिलचिलाती हुई धूप, हवा भी चल रही थी लेकिन इतनी गर्म मानो भट्टी की आँच साथ लेकर आ रही हो। ऐसे में गाँव के लोग अपने-अपने घरों में या फिर बगीचे में दो-तीन घंटे आराम कर लेते हैं, जिससे दोपहर तक के जी तोड़ काम से थक कर टूट रहे शरीर को थोड़ा आराम मिल जाता है, साथ...

शुक्रवार

हिन्दी दिवस मात्र औपचारिकता

हिन्दी दिवस मात्र औपचारिकता
*हिन्दी-दिवस मात्र औपचारिकता* 14 सितंबर 2018 को हिन्दी दिवस के रूप में  अधिकतर सरकारी विभागों और विद्यालयों में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। वे लोग जो अंग्रजी बोलने में, अंग्रेजियत दिखाने में गर्व महसूस करते हैं, जिन्हें पढ़े-लिखे समाज में हिन्दी-भाषी होने पर शर्म...

सोमवार

एक नदी के दो किनारे साथ साथ ही चलते हैं हमराह हैं हममंजिल भी हैं पर कभी नहीं मिलते हैं हम कदम बन साथ निभाते हैं पर एक-दूजे के मन में कभी भी उतर नहीं पाते साथ इनका सभी ने देखा पर जल के आवरण में ढका अंतराल कोई न जान सका आवरण रहे या हटे अंतराल रहेगा यह अस्तित्वहीन सा साथ...

शुक्रवार

मेरा पसंदीदा व्यक्तित्व

मेरा पसंदीदा व्यक्तित्व
विषय- मेरा मनपसंद व्यक्तित्व विधा- गद्य अकसर जब किसी के व्यक्तित्व की बात आती है तो व्यक्ति का पहनावा, बाहरी रूप-रंग तथा शारीरिक डील-डौल का खाका मस्तिष्क में खिंच जाता है। किन्तु यह बाहरी खाका व्यक्तित्व को पूर्ण नहीं करता बल्कि इसके साथ उसके आंतरिक गुण भी परिलक्षित...