विगत 24-26 मई 2019 को मुझे 'पूर्वोत्तर हिन्दी अकादमी शिलांग' द्वारा आयोजित साहित्यिक सम्मेलन में हिस्सा लेने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। दिल्ली से लगभग 2224 किलोमीटर दूर शिलांग जाकर इस सम्मेलन में हिस्सा लेना मेरे लिए बेहद रोचक, ज्ञानवर्धक व यादगार रहा। वहाँ मुझे...
गुरुवार
रविवार
थैंक्यू मि. गोडसे
Posted By:
Malti Mishra
Leave a Reply

थैंक यु, मि. गोडसे...
( ले० डॉ. शंकर शरण )
नाथूराम गोडसे के नाम और उनके एक काम के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधीजी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा...
शनिवार
अभिव्यक्ति का अधिकार
Posted By:
Malti Mishra
4 Comments

अभिव्यक्ति का अधिकार
स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक होने के नाते हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी प्राप्त है और सभी इस स्वतंत्रता का अपने-अपने ढंग से भरपूर लाभ भी उठाते हैं। स्वतंत्रता केवल मनुष्य मात्र के लिए नहीं अपितु समस्त जीवधारियों के लिए वरदान समान है, फिर चाहे...
मंगलवार
जोकर
Posted By:
Malti Mishra
6 Comments

तुम सब जैसा मानव मैं पर,
अपनी कोई पहचान नहीं।
जोकर बन सभी हँसाता हूँ,
अपने भावों को दबा कहीं।
दिल में बहता गम का सागर,
होंठों पर हँसी जरूरी है।
तन्हा छिप-छिपकर रोते हैं,
बाहर हँसना मजबूरी है।
जोकर बन खुशियाँ बाँटी हैं,
दुहरा जीवन हम जीते हैं।
यूँ बूँद-बूँद...
रविवार
माँ तू कितनी प्यारी है
Posted By:
Malti Mishra
Leave a Reply

माँ तू कितनी प्यारी है
हे मात तुझे शत-शत वंदन,
शब्दों से करती अभिनंदन।
गर पा जाऊँ एक अवसर मैं,
कर दूँ तुझ पर जीवन अर्पण।
अपनी सारी ममता माँ ने,
निज बच्चों पर वारी है।
माँ तू कितनी भोली है,
माँ तू कितनी प्यारी है।
बच्चों का बचपन माँ से है,
गोद में दुनिया समाई है।
हर मुश्किल...
शनिवार
माँ
Posted By:
Malti Mishra
Leave a Reply

माँ...
आज तुम्हारी बहुत
याद आ रही है
अपने इस सूने
जीवन में
तुम्हारी कमी
बहुत सता रही है
क्या खता थी मेरी
आखिर
मैं भी तो तुम्हारी
जाई थी
क्यों बेटे तो अपने
लेकिन बेटी पराई थी
चलो छोड़ो
वो दुनिया की रीत थी
ये मानकर हमने निभा लिया
पर क्यों बेटों ने
तुम पर भी
अपना आधिपत्य जमा...
बुधवार
राजनीति का गिरता स्तर
Posted By:
Malti Mishra
6 Comments

राजनीति का गिरता स्तर
चुनावी दौर में पक्ष और विपक्ष की राजनीतिक पार्टियों के द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना अकल्पनीय नहीं है बल्कि यह एक सहज प्रक्रिया है कि अपने प्रतिद्वंदी की कमियों उसके नकारात्मक कार्यों को जनता के समक्ष लाना और अपने सकारात्मक विचारों और...
शनिवार
जनता सब पहचान रही
Posted By:
Malti Mishra
Leave a Reply

रात दिवा जिन जिन बातों का
खुलकर विरोध करते थे,
उनकी विदेश-यात्राओं पर
तुम तंज कसा करते थे।
परिणाम मिला जब आज सुखद
सब विदेश-यात्राओं का,
विश्व आतंकी घोषित हुआ
चैन उड़ा आकाओं का।
पहले तो तुम उछले-कूदे
मन ही मन बस रोए हो,
कलपे तड़पे सिर धुन-धुनकर
चिल्लाए पछताए हो।
नहीं बनी...