रविवार

माँ तू कितनी प्यारी है

माँ तू कितनी प्यारी है

हे मात तुझे शत-शत वंदन,
शब्दों से करती अभिनंदन।
गर पा जाऊँ एक अवसर मैं,
कर दूँ तुझ पर जीवन अर्पण।
अपनी सारी ममता माँ ने,
निज बच्चों पर वारी है।
माँ तू कितनी भोली है,
माँ तू कितनी प्यारी है।

बच्चों का बचपन माँ से है,
गोद में दुनिया समाई है।
हर मुश्किल में खड़ी रही,
माँ तू बनकर परछाई है।
इस कच्चे मन के अंतस को,
देकर संस्कार सजाया है।
इंसानों की भीड़ में मुझको,
मुझसे परिचित करवाया है।
माँ तेरी ही ममता से तो,
खुशियों की किलकारी है।
माँ तू कितनी भोली है,
माँ तू कितनी प्यारी है।

देती है हरपल ज्ञान हमें,
हर अच्छा-बुरा बताती है।
बनकर पहली गुरु बच्चों की,
जीवन का पाठ पढ़ाती है।
शीत में मीठी धूप है माँ,
खुशियों की फुलवारी है।
माँ तू कितनी भोली है,
माँ तू कितनी प्यारी है।

उँगली पकड़ चलना सीखा,
निज पैरों पर मैं खड़ी हुई।
तेरी ममता की छाया में,
मैं ना जाने कब बड़ी हुई।
अच्छी हूँ या कि बुरी हूँ माँ,
हूँ झूठी या फिर सच्ची हूँ।
दुनिया की नजर में बड़ी हुई,
पर आज भी तेरी बच्ची हूँ।
मेरे सब स्वप्न सजाने को,
अपनी नींदें वारी है।
माँ तू कितनी भोली है,
माँ तू कितनी प्यारी है।

मालती मिश्रा 'मयंती'✍️

0 Comments:

Thanks For Visit Here.