शनिवार


अंबर की खिड़की खुली, झाँक रहे दिनराज
तिमिर मिटा अब रैन का, पवन बजाती साज।
पवन बजाती साज, खगवृंद मिलकर गाते
मन में ले उल्लास, डगर तरु पुष्प बिछाते।
लहरें करें किलोल, प्रकृति लगे अति सुंदर
स्वर्ण कलश ले शीश, निरखता सुंदर अंबर।।

मालती मिश्रा 'मयंती'✍️

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब
    मनोरम प्रकृति के ये दृश्य लाजवाब हैं।

    मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख 

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