Posted By: Malti Mishra 2 Comments अंबर की खिड़की खुली, झाँक रहे दिनराज तिमिर मिटा अब रैन का, पवन बजाती साज। पवन बजाती साज, खगवृंद मिलकर गाते मन में ले उल्लास, डगर तरु पुष्प बिछाते। लहरें करें किलोल, प्रकृति लगे अति सुंदर स्वर्ण कलश ले शीश, निरखता सुंदर अंबर।। मालती मिश्रा 'मयंती'✍️ Tweet Share Share Share Share
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंमनोरम प्रकृति के ये दृश्य लाजवाब हैं।
मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख
सादर आभार रोहितास जी
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