रविवार

मन की बात

मन की बात
अच्छे वक्ता अच्छे श्रोता  और अच्छे निर्णायक हैं  अमानुषता के समाज में  मानवता के परिचायक हैं  देते उत्तम शिक्षा सबको  सबके दिलों पर छाए हैं  बना माध्यम रेडियो को  'मन की बात' बताए हैं  करो विकास गाँवों का  किसानों...

बुधवार

आओ सब मिल खेलें होली

आओ सब मिल खेलें होली
आओ सब मिल खेलें होली  खुशियों से सब भर लें झोली लाल,गुलाबी,नीले,पीले  खुशियों के सब रंग सजीले  खेलो होरी ऐसे प्यारे  खुशियों से सब हों मतवारे  जाति-धर्म का भेद मिटा कर प्रेम के रंग मे खेलें होली  कहीं किसी का हृदय न दूखे  आनंद...

रविवार

ये अंधा कानून है...

ये अंधा कानून है...
हमारे देश का कानून है कितना निष्पक्ष महान एक तराजू में ही तोले चाहे हो जेब कतरा कोई साधारण या हो देशद्रोही कन्हैया और अनिर्बान हमारे देश में न्यायालय को न्याय का मंदिर माना जाता है, न्यायालय में सुनाए गए फैसले को सर्वोपरि माना जाता है, कानून को सबके लिए समान बताया गया...

मंगलवार

जीवन एक इम्तहान है....

जीवन एक इम्तहान है....
दुनिया की भीड़ में रोज मर्रा की भागमभाग मे हमारा रिश्ता न जाने कहाँ खो गया सूर्य की लाली लाती थी जो मुस्कान वो लाली वो मुस्कान  सूरज की आखिरी किरण बन गए सदा के लिए लबों से जुदा हो गए जीवन एक इम्तहान है  मानकर चले थे  पर्चा था कठिन हल न हुए मेहनत...

शनिवार

कन्हैया माँगे गरीबी से आजादी

कन्हैया माँगे गरीबी से आजादी
एक समय था कि समाज के आम लोग स्वयं को राजनीति से दूर रखने में ही अपनी शराफत समझते थे, कहा जाता था कि राजनीति एक दलदल है उसमें जो उतर गया वो बुराइयों से अछूता नहीं रह सकता।हमारे माननीय मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी राजनीति को काली और गंदी कहा था परंतु क्या हुआ स्वयं...

शुक्रवार

नही चाहिए कानून की पट्टी

नही चाहिए कानून की पट्टी
अब कानून की आँखों से पट्टी हटा ही देना चाहिए कानून को लोगों की आँखें पढ़ना भी आना चाहिए कन्हैया सम गद्दारों की गद्दारी भी दिखना चाहिए क्योंकि कानून के कुछ रखवाले कांग्रेसी  तो कुछ पीमचिदंबरम् होते है जिनके पापों का बोझ निर्भया जैसे ढोते हैं  माना कि...

बुधवार

न्यायालय जो भारत की संप्रभुता का संरक्षक है

न्यायालय जो भारत की संप्रभुता का संरक्षक है
न्यायालय जो लोकतंत्र की मर्यादा का रक्षक है  न्यायालय जो भारत की संप्रभुता का संरक्षक है  न्यायालय जो घावों पर औषधि का लेप लगाता है  न्यायालय जो पीड़ित को सच्चा इंसाफ दिलाता है उसी न्याय के मंदिर पर कीचड़ फेंका शैतानों ने  ओवैसी ने जूता मारा...

सोमवार

डर बना दलित

डर बना दलित
आज चारों ओर राजनीति के चलते 'दलित' शब्द छाया हुआ है....इस माहौल ने मुझे मेरा बचपन याद दिला दिया, जहाँ पहली बार दलित बनाम उच्च वर्ग की परिस्थितियों मेरा आमना-सामना हुआ और मैंने जाना कि यदि आज के समय में भी शोषण हो रहा है तो शोषित वर्ग काफी हद तक स्वयं भी जिम्मेदार है...

शनिवार

सत्ता की सीढ़ी

सत्ता की सीढ़ी
आज जब हर तरफ दलित-दलित का शोर सुनाई पड़ रहा है 'दलित' सिर्फ एक राजनीतिक शब्द बन कर रह गया है, जो लोग दलित वर्ग के हितैशी बने घूम रहे हैं उन्हें तो दलित का 'द' भी पता न होगा....उन्हें कैसे पता होगा कि दलित किस प्रकार जीते हैं उनकी परेशानियाँ कैसी होती हैं उनका रहन-सहन कैसा...

मंगलवार

आरक्षण का हथियार

आरक्षण का हथियार
माँ-बाबा की सिखाई बातों को  मैंने आँख बंद कर स्वीकार किया  सारा दिन सारी रातों को  पढ़ने में ही गुजार दिया  खेलकूद और मौज-मस्ती ने  मुझे भी खूब रिझाया था  पर मेहनत करके ही जीतोगे  मैंने मूलमंत्र ये पाया था  बाबा की बस एक...