बुधवार

हकदार वही है

पथ के काँटे चुन ले जो
फूलों का हकदार वही है,
तोड़ पहाड़ बहा दे झरना
उसके लिए मृदु धार बही है 
धारा के विपरीत बहा जो 
नई कहानी का रचनाकार वही है
प्यास बुझाए जो हर प्राणी के 
पनघट का सरकार वही है
तूफानों से लड़-लड़कर
राह नई बना ले जो
नई ऊँचाई, नए कीर्ति की
यशगाथा का हकदार वही है। 

मालती मिश्रा

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8 टिप्‍पणियां:

  1. अतिसुन्दर अभिव्यक्ति......💐💐

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  2. अतिसुन्दर अभिव्यक्ति......💐💐

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    1. ब्लॉग पर आने और आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत आभार सत्यकाम गुप्ता जी

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  3. उत्तर
    1. गीतांजलि मित्तल जी बहुत-बहुत आभार,नमन आपका

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    2. गीतांजलि मित्तल जी बहुत-बहुत आभार,नमन आपका

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  4. संजय भास्कर जी बहुत-बहुत धन्यवाद मेरी रचना को शामिल करने और मुझे सूचित करने के लिए।

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  5. संजय भास्कर जी बहुत-बहुत धन्यवाद मेरी रचना को शामिल करने और मुझे सूचित करने के लिए।

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