शुक्रवार

क्या चाह अभी क्या कल होगी
नही पता मानव मन को
चंद घड़ी में जीवन के
हालात बदल जाते हैं
पल-पल मानव मन में
भाव बदलते रहते हैं
संग-संग चलने वालों के भी
ज़ज़्बात बदल जाते हैं।

जुड़े हुए होते हैं जिनसे
गहरे रिश्ते जीवन के
टूटी एक कड़ी कोई तो
रिश्तों से प्यार फिसल जाते हैं
स्वार्थ का बीज अंकुर होते ही
काली परछाई घिर आती
प्रेम संगीत गाती वीणा के
तार बदल जाते हैं।
#मालतीमिश्रा

Related Posts:

  • कहानी हरखू की सूरज सिर पर चढ़ आया था लेकिन हरखू और उसका परिवार खेत से घर जाने का नाम… Read More
  • सुप्रभात🙏🏵️🙏 🌺🌿🌺 🍁🌷🍁 🌻🍂🌹🏵️ अलसाए मन के अंधियारे से प्रात… Read More
  • कहानी हरखू की सूरज सिर पर चढ़ आया था लेकिन हरखू और उसका परिवार खेत से घर जाने का नाम… Read More
  • जाग री विभावरी ढल गया सूर्य संध्या हुई अब जाग री तू विभावरी मुख सूर्य का अब मलिन… Read More

4 टिप्‍पणियां:

  1. वाह बहुत गहरा और उम्दा ख्याल मीता।
    अप्रतिम।
    सुप्रभात।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत खुशी हुई आपको ब्लॉग पर देखकर मीता, आभार।
      सुप्रभात🙏

      हटाएं
  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २५ जून २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!!बहुत खूबसूरत रचना ।

    जवाब देंहटाएं

Thanks For Visit Here.