Posted By: Malti Mishra 4 Comments स्तब्ध हूँ..... निःशब्द हूँ..... कंपकंपाती उँगलियाँ मैं लेखनी कैसे गहूँ श्रद्धा सुमन अर्पित करूँ बार-बार छलके नयन कर जोड़कर करती नमन सादर नमन भारत रतन मानवता के तुम द्योतक राष्ट्र चेतना के वाहक नव युग का तुमसे आरंभ भारत के तुम अटल स्तंभ कर जोड़कर करती नमन सादर नमन भारत रतन मालती मिश्रा 'मयंती'✍️ Tweet Share Share Share Share
नमन
जवाब देंहटाएंसुमन जी 🙏
हटाएंबहुत सुंदर आदरणिया अनुजा माननिय अटल जी को श्रद्धांजली की पंक्तिया
जवाब देंहटाएंआभार भाई सा🙏
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