गुरुवार

नाम नहीं अभिव्यक्ति का

सीमा में रह व्यवहार करे
काम यही है व्यक्ति का
अपनी माँ का अपमान करना
नाम नहीं अभिव्यक्ति का

जिस धरती पर जन्म लिया
प्राणवायु पा युवा हुए
उसपर ही हथियार उठाना
काम नहीं यह शक्ति का

जिस माँ ने जन्म दिया तुमको
उसकी कोख विदीर्ण किया
कहाँ छिपोगे जाकर तुम
कोई मार्ग बचा न मुक्ति का

जिस पात्र में खाया उसको तोड़ा
क्या जायज कोई कारण है
है साहस तो आज बता दे
कारण इस आसक्ति का।

मालती मिश्रा 'मयंती'✍️

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