गुरुवार

प्रश्न

हम अंग्रेजी त्योहार मनाते भी हैं उनका महिमामंडन भी करते हैं तब कभी कोई यह प्रश्न नहीं करता कि क्या हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति का भी ध्यान रखते हुए उन्हें नहीं मनाना चाहिए, हमारी संस्कृति की विशेषता यही है कि हम बाह्य मान्यताओं को भी खुले दिल से स्वीकार करते हैं और हर वह अवसर उत्सव की तरह ही मनाते हैं जो हमें खुशियाँ देते हैं। ऐसा करते वक्त हमारे मस्तिष्क में यह खयाल नहीं आता कि हमारे त्योहारों का क्या? क्योंकि हमें पता है जो हमारे हैं वो तो हमारे हैं ही, परंतु आजकल अंग्रेजी कैलेंडर ही चलन में होने के कारण हमारी भावी पीढ़ी तो क्या हम ही अपने बहुत से धार्मिक त्योहारों के विषय में नहीं जानते, अपनी प्रथाओं, मान्यताओं के विषय में नहीं जानते। तो साहित्यकारों का या जो भी अपनी मान्यताओं परंपराओं से अवगत हैं उनका दायित्व बनता है कि अपने त्योहार और मान्यताओं के विषय में जानकारी दें, परंतु बहुधा देखने में आता है कि अपने किसी परंपरा, त्योहार आदि की जानकारी देने के उद्देश्य से भी लिखा गया लेख पढ़कर ही कुछ  साहित्यकारों को संरक्षणात्मक मुद्रा में ला देता है और वह प्रश्न करने लगते हैं तो क्या हम अंग्रेजी त्योहारों पर बधाई देना भी छोड़ दें? ऐसे में मैं भी ऐसे साहित्यकारों से यही प्रश्न उठाती हूँ कि *हम अंग्रेजी त्योहार तो मनाते ही हैं पर क्या इसका यह तात्पर्य होता है कि हम हिन्दू त्योहारों की चर्चा करना ही छोड़ दें?* क्यों हम साहित्यकारों को हिन्दू संस्कृति का उल्लेख करने से परहेज करना चाहिए? क्यों हिन्दू मान्यताओं का जिक्र करना अंग्रेजी मान्यताओं की मुख़ालफ़त ही समझा जाता है? हम अन्य धर्मों का गुणगान करें तो धर्म निरपेक्ष और अपने धर्म की विशेषता बताएँ तो सांप्रदायिक क्यों हो जाते हैं? मैं मानती हूँ कि *हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए* परंतु क्या अपने धर्म के विषय में बात करने से परहेज करना चाहिए?
मेरा मानना है कि हमें किसी की धार्मिक या किसी भी प्रकार की भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए, पर क्या अपनी धार्मिक विशेषताओं या भावनाओं को बताते हुए डरना चाहिए कि पता नहीं कौन सा बुद्धिजीवी क्या प्रश्न खड़ा कर दे, पता नहीं मेरे लेख का क्या मतलब निकाला जाए?
*साहित्यकारों का हृदय विशाल होना चाहिए और दूसरों का सम्मान करने के साथ-साथ अपनो का भी मान-सम्मान करना चाहिए, यही मेरा मानना है और जानकारी देने या लेने से परहेज न करते हुए अनर्गल प्रश्न नहीं उठाना चाहिए।*
मालती मिश्रा 'मयंती'✍️

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