🙏नमन वीर शहीदों को
घर-संसार हुआ अंधेरा
सूख गया दीयों का तेल
उजड़ गई दुनिया अब उनकी
खुशी-खुशी जो रहे थे खेल
देख कर आँसू का समंदर
अंबर भी थर्राया होगा
ममता बहती जिस आँचल में
मृत लाल कैसे समाया होगा
लेकर के सपने आँखों में
चाँद चौथ का देखा होगा
मेंहदी भी न उतरी हाथों की
उनसे मंगलसूत्र उतारा होगा
पथ तकती थीं सूनी आँखें
उनसे मृत देह निहारा होगा
सुत के काँधे की आस लिए
पितु ने अर्थी को संभारा होगा
रक्षासूत्र का तोड़ के बंधन
बहनों का वीर शहीद हुआ
भारत की रक्षा की खातिर
कुर्बान हो गई माँ की दुआ
खुशियों का भार उठाती मही
खंडित लाल कैसे उठाया होगा
लहराता जो तिरंगा सदा शान से
बन कफन वीरों का थर्राया होगा।
करते हैं नमन हे वीर तुम्हें
तुमसे ही देश ये जिन्दा है
निम्न कृत्य के कर्ता अबतक
जिन्दा हैं, हम शर्मिंदा हैं।।
मालती मिश्रा 'मयंती'✍️
घर-संसार हुआ अंधेरा
सूख गया दीयों का तेल
उजड़ गई दुनिया अब उनकी
खुशी-खुशी जो रहे थे खेल
देख कर आँसू का समंदर
अंबर भी थर्राया होगा
ममता बहती जिस आँचल में
मृत लाल कैसे समाया होगा
लेकर के सपने आँखों में
चाँद चौथ का देखा होगा
मेंहदी भी न उतरी हाथों की
उनसे मंगलसूत्र उतारा होगा
पथ तकती थीं सूनी आँखें
उनसे मृत देह निहारा होगा
सुत के काँधे की आस लिए
पितु ने अर्थी को संभारा होगा
रक्षासूत्र का तोड़ के बंधन
बहनों का वीर शहीद हुआ
भारत की रक्षा की खातिर
कुर्बान हो गई माँ की दुआ
खुशियों का भार उठाती मही
खंडित लाल कैसे उठाया होगा
लहराता जो तिरंगा सदा शान से
बन कफन वीरों का थर्राया होगा।
करते हैं नमन हे वीर तुम्हें
तुमसे ही देश ये जिन्दा है
निम्न कृत्य के कर्ता अबतक
जिन्दा हैं, हम शर्मिंदा हैं।।
मालती मिश्रा 'मयंती'✍️
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