रविवार

अक्षर के संयोग




 करना विद्यादान ही, हो जीवन का ध्येय।

नेक कर्म यह जो करे, जनम सफल कर लेय।।


अक्षर के संयोग से, बने शब्द भंडार।

शब्द से फिर वाक्य गढ़ें, बने ज्ञान आधार।।


हिन्दी के अक्षर सभी, वैज्ञानिक आधार।

उच्चारण लेखन कहीं, तनिक न विचलित भार।।


कसौटियों पर शुद्धि के, खरे रहें हर रूप।

अंग्रेजी सम हों नहीं, भिन्न-भिन्न प्रारूप।।


हिन्दी के अक्षर सभी, चढ़ें शिखर की ओर

अ अनपढ़ यात्रा पथ से, ज्ञ से ज्ञान की ओर।।


प्रथम भाषा बन हिन्दी, बने देश का मान।

सजे भाल पर देश के, पाय सदा सम्मान।।


रही तमन्ना ये सदा, हिन्दी की हो जीत।

हिन्दी में पढ़ते कथा, हिन्दी के सब मीत।।


मालती मिश्रा 'मयंती'✍️


4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 14 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. रही तमन्ना ये सदा, हिन्दी की हो जीत।
    हिन्दी में पढ़ते कथा, हिन्दी के सब मीत।,,,,,,, बहुत सुंदर रचना, आदरणीया शुभकामनाएँ

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