मंगलवार

पचास साल का युवा गर दिखाए राह तो
बुद्धि का विकास कब होगा इस देश में

जनता समाज सब भ्रम में ही फँस रहे
हर पल विष घुल रहा परिवेश में।।

रोज नए मुद्दे बनें नई ही कहानी बने
भक्षक ही घूम रहे रक्षक के वेश में।।

उचित अनुचित का खयाल बिसरा दिया
चापलूस चाटुकार मिले अभिषेक में।।

4 टिप्‍पणियां:

  1. सही सही कटाक्ष है मीता कलम की धार बढती जा रही है ।
    सत्य का दर्पण, अप्रतिम।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपकी प्रतिक्रिया हौसला बढ़ाती है मीता, आभार स्नेह बनाए रखने के लिए🙏🙏

      हटाएं
  2. गहरा कटाक्ष है आज की राजनीति पर ... और सटीक लिखा है ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. उत्साहवर्धन के लिए बहुत-बहुत आभार आदरणीय🙏🙏🙏

      हटाएं

Thanks For Visit Here.