शारदे की पूजा करूँ काम नहीं दूजा करूँ
भक्ति ऐसी मेरे हिय में जगाय दीजिए।।
साथ दे जो हर घड़ी कभी न अकेला छोड़े
धर्म पथ पर कोई वो सहाय दीजिए।।
लेखनी का शस्त्र धरूँ अशिक्षा पे वार करूँ।
ज्ञान दीप मेरे हिय में जलाय दीजिए।।
शिक्षा जो ग्रहण किया सभी में मैं बाँट सकूँ
मानव का धर्म हमें बतलाय दीजीए।।
#मालतीमिश्रा
भक्ति ऐसी मेरे हिय में जगाय दीजिए।।
साथ दे जो हर घड़ी कभी न अकेला छोड़े
धर्म पथ पर कोई वो सहाय दीजिए।।
लेखनी का शस्त्र धरूँ अशिक्षा पे वार करूँ।
ज्ञान दीप मेरे हिय में जलाय दीजिए।।
शिक्षा जो ग्रहण किया सभी में मैं बाँट सकूँ
मानव का धर्म हमें बतलाय दीजीए।।
#मालतीमिश्रा
वाह !!!बहुत खूबसूरत।
जवाब देंहटाएंनीतू जी सादर आभार
हटाएंमातृ दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
बहुत सुंदर स्तुति सदा मां का वरदहस्त आप पर रहे।
जवाब देंहटाएंमीता स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत आभार
हटाएंजी आभार
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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