वीणापाणि मात मेरी करती आराधना मैं
आन बसो हिय मेरे ज्ञान भर दीजिए।।
समर्पित कर रही श्रद्धा के सुमन मात
अरज मेरी ये आप सवीकार कीजिए।।
बन कृपा बरसो माँ लेखनी विराजो मेरे
अविरल ज्ञान गंगा बन बहा कीजिए।।
यश गाथा गाय रही तुमको बुलाय रही
सुनो मात अरजी न देर अब कीजिए।।
#मालतीमिश्रा
आन बसो हिय मेरे ज्ञान भर दीजिए।।
समर्पित कर रही श्रद्धा के सुमन मात
अरज मेरी ये आप सवीकार कीजिए।।
बन कृपा बरसो माँ लेखनी विराजो मेरे
अविरल ज्ञान गंगा बन बहा कीजिए।।
यश गाथा गाय रही तुमको बुलाय रही
सुनो मात अरजी न देर अब कीजिए।।
#मालतीमिश्रा
जय माँ सरस्वती
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना है
स्वागत है जी आपका यहाँ खैर
ब्लॉग अच्छा लेगे तो मित्रता की शुरुवात भी कीजियेगा
धन्यवाद
धन्यवाद रोहितास जी, आपका ब्लॉग देखा अच्छा लगा।
हटाएंबहुत सुंदर वंदना मां सरस्वती की अंतर से निकली आवाज।
जवाब देंहटाएंनमन मा वीणावादिनी।
हृदयतल से आभार मीता🙏
हटाएंमाँ शारदे को कोटि - कोटि नमन !!!सुंदर ब्जव्पूर्ण वंदन माँ का | हार्दिक शुभकामनाये !!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार रेनू जी
हटाएंबहुत सुंदर आराधना माँ शारदे की आदरणिया अनुजा
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार भाई सा
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंमाँ शारदे की कृपा बनी रहे
बहुत-बहुत आभार लोकेश जी
हटाएंवीणा वादिनी के चरणों में वंदन है ये रचना ...
जवाब देंहटाएंमाँ की कृपा बनी रहे ...