'चौपाई'
सिद्ध करने अपनी प्रभुताई,
मानव ने हर विधि अपनाई।
स्वर्ण चमक में प्रकृति को भूला,
नष्ट किया वन संपदा समूला।
सूर्यदेव ने रूप दिखाया,
किरणों से शोले बरसाया।
धारण किया रूप विकराला,
उठती लपटें अधिक विशाला।
नाना विधि सब कर कर हारे,
त्राहि-त्राहि सब मनुज पुकारे।
स्वहित में जिसे खूब चलाई,
भयवश वो बुद्धि काम न आई।।
सिद्ध करने अपनी प्रभुताई,
मानव ने हर विधि अपनाई।
स्वर्ण चमक में प्रकृति को भूला,
नष्ट किया वन संपदा समूला।
सूर्यदेव ने रूप दिखाया,
किरणों से शोले बरसाया।
धारण किया रूप विकराला,
उठती लपटें अधिक विशाला।
नाना विधि सब कर कर हारे,
त्राहि-त्राहि सब मनुज पुकारे।
स्वहित में जिसे खूब चलाई,
भयवश वो बुद्धि काम न आई।।
#मालतीमिश्रा
वाह वाह
ReplyDeleteआदरणीया मालती जी
बेहद सुंदर सटीक लाजवाब 👌
आ०अचल जी बहुत-बहुत आभार🙏
Deletewaah ji waah bahut khub
ReplyDeleteआभार योगेश जी, ब्लॉग पर आपका स्वागत है💐💐💐💐💐
Deleteवाहः बेहद खूबसूरत प्रस्तुति
ReplyDeleteलोकेश जी हृदय से आभार🙏
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