मंगलवार

जाग री तू विभावरी

जाग री तू विभावरी
 जाग री तू विभावरी..ढल गया सूर्य संध्या हुई अब जाग री तू विभावरी मुख सूर्य का अब मलिन हुआ धरा पर किया विस्तार रीलहरा अपने केश श्यामल तारों से उन्हें सँवार री ढल गया सूर्य संध्या हुई अब जाग री तू विभावरी पहने वसन चाँदनी धवल जुगनू...

रविवार

संस्कारों का कब्रिस्तान बॉलीवुड

संस्कारों का कब्रिस्तान बॉलीवुड
 संस्कारों का कब्रिस्तान बॉलीवुडहमारा देश अपनी गौरवमयी संस्कृति के लिए ही विश्व भर में गौरवान्वित रहा है परंतु हम पाश्चात्य सभ्यता की चकाचौंध में अपनी संस्कृति भुला बैठे और सुसंस्कृत कहलाने की बजाय सभ्य कहलाना अधिक पसंद करने लगे। जिस देश में धन से पहले संस्कारों को...

गुरुवार

रजनी की विदाई

रजनी की विदाई
रजनी के बालों से बिखरे हुएमोती बटोरने,प्राची के प्रांगण में ऊषा स्वर्ण थाल लेकर आई।देखकर दिनकर की स्वर्णिम सवारीतन डाल सुनहरी चूनर रजनी शरमाई।मुखड़ा छिपाया बादलों के मखमली ओट में,संग छिपने को तारक सखियाँ बुलाई।पूरी रात बाट जोहती जिसके आने की,देख उसकी...

बुधवार

समीक्षा- वो खाली बेंच

समीक्षा- वो खाली बेंच
 कहानी संग्रह   *वो खाली बेंच*लेखिका- मालती मिश्रा समीक्षा- रतनलाल मेनारिया 'नीर'मालती मिश्रा जी की कहानी संग्रह की चर्चा करने से पहले इनके परिचय के बारे जानना आवश्यक है। वैसे मालती जी का परिचय देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इनका परिचय खुद इनकी कहानियाँ...

मंगलवार

पुरुष नहीं बनना मुझको

पुरुष नहीं बनना मुझको
स्त्री हूँस्त्री ही रहूँगीपुरुष नहीं बनना मुझकोहे पुरुष!नाहक ही तू डरता हैअसुरक्षित महसूस करता हैमेरे पुरुष बन जाने से।सोच भला...एक सुकोमलफूल सी नारीक्या कंटक बनना चाहेगीअपने मन की सुंदरता कोक्यों कर खोना चाहेगी?ममता भरी हो जिस हृदय मेंक्या द्वेष पालना चाहेगीदुश्मन पर भी...

रविवार

मैं कमजोर नहीं

मैं कमजोर नहीं
मैं एक नारी हूँतुम्हारी दृष्टि में कमजोरक्योंकि मैं अव्यक्त हूँममतामयी हूँकरुणामयी हूँमैं नहीं हारती पुरुष सेहार जाती हूँ खुद सेहृदयहीन नहीं बन पातीस्वहित में किसी काअहित नहीं कर पातीकुदृष्टि डालने वाले कीआँखें नहीं नोचतीक्योंकि उसके दृष्टिहीनताकी पीड़ा की कल्पना...

शनिवार

मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ
 ...मैं नारी हूँ...हाँ मैं नारी हूँनिरीह कमजोरतुम्हारे दया की पात्रतुमसे पहले जगने वालीतुम्हारे बाद सोने वालीतुम्हारी भूख मिटाकरतृप्त करने वालीतुम्हें संतान सुख देने वालीतुम्हारे वंश कोआगे बढ़ाने वालीअहर्निश अनवरततुम्हारी सेवा करने वालीफिर भी तुमसे कुछ न चाहने...

रविवार

अक्षर के संयोग

अक्षर के संयोग
 करना विद्यादान ही, हो जीवन का ध्येय।नेक कर्म यह जो करे, जनम सफल कर लेय।।अक्षर के संयोग से, बने शब्द भंडार।शब्द से फिर वाक्य गढ़ें, बने ज्ञान आधार।।हिन्दी के अक्षर सभी, वैज्ञानिक आधार।उच्चारण लेखन कहीं, तनिक न विचलित भार।।कसौटियों पर शुद्धि के, खरे रहें हर रूप।अंग्रेजी...

व्याधि तू पास क्यों आया

व्याधि तू पास क्यों आया
 जब व्याधि से हो घिरा शरीर, हृदय में चुभते सौ-सौ तीर।रंग नहीं दुनिया के भाए,अपनेपन की चाह सताए।ऐ व्याधि तू पास क्या आयासब अपनों नें रंग दिखाया।जब से तूने मुझको घेरा,मुख मेरे अपनों ने फेरा।मालती मिश्रा 'मयंती...

गुरुवार

सामने वाली बालकनी

सामने वाली बालकनी
 सामने वाली बालकनी अलार्म की आवाज सुनकर निधि की आँख खुल गई और उसने हाथ बढ़ाकर सिरहाने के पास रखे टेबल से मोबाइल उठाकर अलार्म बंद किया। सुबह के पाँच बज रहे थे, वह रोज इसी समय उठ जाती थी पर आज सिर भारी सा हो रहा था। रात को सुजीत से फोन पर ही थोड़ी सी बहस जो हो गई...