अभी तक आपने पढ़ा कि अलंकृता अपनी मम्मी के द्वारा लिखे पन्नों को पढ़ती है और भावुक हो जाती है...आगे पढ़िए..यह सभी की समझ से परे था कि वह इतनी हिम्मत लाती कहाँ से थी! एक ओर उसके हमउम्र बच्चे थे कि जरा-सा किसी बच्चे ने धक्का भी दे दिया तो रोते हुए पहुँच जाते थे अपनी मम्मी...
अरु...भाग-९
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उपन्यास