बुधवार

अरु...भाग-९

अरु...भाग-९
अभी तक आपने पढ़ा कि अलंकृता अपनी मम्मी के द्वारा लिखे पन्नों को पढ़ती है और भावुक हो जाती है...आगे पढ़िए..यह सभी की समझ से परे था कि वह इतनी हिम्मत लाती कहाँ से थी! एक ओर उसके हमउम्र बच्चे थे कि जरा-सा किसी बच्चे ने धक्का भी दे दिया तो रोते हुए पहुँच जाते थे अपनी मम्मी...

मंगलवार

अरु..भाग-८- २

अरु..भाग-८- २
प्रिय पाठक अब तक आपने पढ़ा कि अरुंधती ट्रेन में अपनी बर्थ पर पैर फैलाकर बैठ गई और डायरी खोलकर पढ़ने लगी... डायरी के पहले पन्ने पर ही लिखा था..अब गतांक से आगे...."बची न वजह अब जीने की कोईफिर भी घूँट-घूँट साँसों कोपिए जा रही हूँ..जिए जा रही हूँजिए जा रही हूँ.."यह कैसी जीवन...

गुरुवार

हिन्दी दिवस पर हिन्दी

हिन्दी दिवस पर हिन्दी
 हिन्दी दिवस पर हिन्दी हिन्दी दिवस का आज हम सब खूब प्रदर्शन करते हैं, बीत जाएगी जब ये घड़ी दम इंग्लिश का भरते हैं। हिन्दी हम सबकी माता है शान से ये बताते हैं, दूजे दिन से इस माता को माँ कहते शर्माते हैं। हिन्दुस्तां की शान है हिन्दी कह कर खुशी मनाते हैं, नाना विधि...

बुधवार

अरु..भाग-८ (१)

अरु..भाग-८ (१)
 गतांक से आगे..सिद्धार्थ और अलंकृता एक ही कॉलेज में थे, सिद्धार्थ उससे एक साल सीनियर था। अलंकृता की कविताएँ कहानियाँ मैगज़ीन और कभी-कभी अखबारों में छपती रहती थीं। जिससे सिद्धार्थ उसकी ओर आकृष्ट हुआ, धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो गई। दोनों ही एक-दूसरे को पसंद करते हैं।...

शुक्रवार

अरु...भाग-७

अरु...भाग-७
 गतांक से आगे.."नहीं..मैं ऐसा नहीं कहती कि पुरुष का जीवन बेहद सरल होता है बल्कि मैं तो ये कहूँगी कि यदि पुरुष न हो तो किसी नारी की कहानी पूरी ही नहीं होगी। रही विचार योग्य होने की तो इसका जवाब तो आप ने यह प्रश्न पूछकर ही दे दिया।" वह महिला पत्रकार के चेहरे पर आश्चर्य...

रविवार

संस्कारों का कब्रिस्तान बॉलीवुड

संस्कारों का कब्रिस्तान बॉलीवुड
 संस्कारों का कब्रिस्तान बॉलीवुड हमारा देश अपनी गौरवमयी संस्कृति के लिए ही विश्व भर में गौरवान्वित रहा है परंतु हम पाश्चात्य सभ्यता की चकाचौंध में अपनी संस्कृति भुला बैठे और सुसंस्कृत कहलाने की बजाय सभ्य कहलाना अधिक पसंद करने लगे। जिस देश में धन से पहले संस्कारों को...

शुक्रवार

अरु..भाग- ६ (२)

अरु..भाग- ६ (२)
 गतांक से आगे..१७ वर्ष बाद.......दिल्ली का होटल....(कोहिनूर) का भव्य हॉल, मंच पर सामने की दीवार पर बड़ा सा बैनर लगा हुआ है जिसमें एक पुस्तक का बेहद आकर्षक कवर पेज प्रिंट है और साथ ही नीचे लेखिका का नाम। उसके नीचे ही कई जाने-माने वरिष्ठ साहित्यकारों के नाम के साथ उनकी...

शनिवार

अरु..भाग-६ (१)

अरु..भाग-६ (१)
 गतांक से आगे..उसकी चीख सुनकर अस्मि भागती हुई आई। उसने देखा सौम्या मेज के ऊपर बेसुध पड़ी है, बाल बिखरे हुए थे, उसके हाथ में पेन था और मेज पर तथा नीचे फर्श पर बहुत सारे पन्ने बिखरे पड़े थे। अलंकृता उसे झिंझोड़कर उठाने की कोशिश कर रही थी, अस्मि को देखकर उससे पानी लाने...

बुधवार

अनकहे जख्म

अनकहे जख्म
 जरूरी नहीं कि दर्द उतना ही हो जितना दिखाई देता है,नहीं जरूरी कि सत्य उतना ही हो जितना सुनाई देता है।जरूरी नहीं कि हर व्यथा को हम अश्कों से कह जाएँ,नहीं जरूरी कि दर्द उतने ही हैं जो चुपके से अश्रु में बह जाएँ।दिल में रहने वाले ही जब अपना बन कर छलते हों,संभव है कुछ...

सोमवार

अरु.. भाग -५

अरु.. भाग -५
 गतांक से आगेदूर कहीं से कुत्ते के रोने की आवाज अमावस्या की स्याह रात की नीरवता को भंग कर रही थी। सौम्या को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे झिंझोड़कर जगा दिया हो। उसकी नजर खिड़की से बाहर कालिमा की चादर ओढ़े आसमान पर गई। पूरा आसमां उसके खाली जीवन की तरह सूना था, बहुत दूर कहीं...

शनिवार

अरु... भाग-४

अरु... भाग-४
 "मैं पहले सोचती थी कि आत्महत्या करने वाले कायर होते हैं वो अपनी सारी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाकर मर जाते हैं। अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की खातिर परिस्थितियों से लड़ते हुए जूझते हुए जीना बहुत मुश्किल होता है न! लेकिन आज मुझे समझ आ रहा है कि मैं ग़लत थी, आत्महत्या...

बुधवार

अरु..भाग-3

अरु..भाग-3
गतांक से आगे..सौम्या शब्दों की गहराई में खोती जा रही थी, वह अगला पन्ना पलटती है तभी बाहर से जोर की आवाज आई। जैसे कुछ गिरा हो और वह आवाज की दिशा में भागी। उसने देखा रसोईघर में कुछ डिब्बे गिरे हुए थे, उसे आश्चर्य हुआ कि आखिर ये कैसे गिर सकते हैं! ये तो शेल्फ में रखे थे। सोचते...

रविवार

अरु..भाग-२

अरु..भाग-२
 प्रिय पाठक!प्रथम भाग में आपने पढ़ा कि सौम्या को किसी स्त्री के सिसकने की आवाज आती है और वह डर जाती है। धीरे-धीरे आवाज आनी बंद हो जाती है और बहुत प्रयत्न करके वह भी नींद के आगोश में समा जाती है....अब आगे...अलार्म की आवाज सुनकर उसकी नींद खुली। सुबह के छः बज रहे थे,...