देश बर्बाद करने की जिसने भी जिद ये ठानी है
आवाम नही वो देशद्रोही है ये बात उसे बतानी है
सरहद पर भारत के वीर जिस ध्वज का आन बढ़ाते हैं
घर के भीतर उसी तिरंगे को सत्ता के लोभी जलाते हैं
राष्ट्रद्रोह को खादी धारी विचारों की अभिव्यक्ति बता करके
जहाँ बनता हो देश का भविष्य वहाँ देश द्रोही बनाते हैं
हिंदुस्तान में हिंदुत्व को वर्जित करने का षडयंत्र रचाया है
लेकर सहारा पूर्वजों के नाम का सकल देश पे हक जताते हैं
आतंकी के मृत्युदंड को शहादत से परिभाषित करके
भारत माँ के सच्चे सपूतों की शहादत को लजाते हैं
वेमुला की कायरता भरी आत्महत्या पर आंदोलन करके
कश्मीर के छः शहीदों की कुर्बानी को छिपाते हैं
सत्ता में जमने को देश को जाति धर्म के नाम पर बाँटा है
पहन के सच्चाई की टोपी मफलर जनता को भरमाते हैं
भारत माँ आज रोती है क्यों ऐसे कपूत पाए हैं
जो सत्ता को पाने की खातिर हर नीचता पर उतर आए हैं
मालती मिश्रा
True word....
जवाब देंहटाएंTrue word..
जवाब देंहटाएंTrue word..
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने ये हमारे शहीदों की शहादतों को नजरअंदाज कर अपनी राजनीति चमकाने मे लगे है।
जवाब देंहटाएंइसी परिप्रेक्ष्य मे मैंने भी कुछ लिखने की कोशिश की है एक बार पढकर देखें..जो इंसानियत को मारे, घर-घर लहू बहाये।
वो किसने 'राम' समझे, किसने 'खुदा' बनाये।।
ये आतिश नवा से लोग ही, मातम फ़रोश हैं,
चैन-ओ-अमन का ये वतन, फिर से न डगमगाये।
उन्हें खून की हर बूंद का, कैसे हिसाब दें,
जो आँसुऔ की कीमत.........
http://manishpratapmpsy.blogspot.com/2016/02/blog-post_23.html
बहुत-बहुत आभार मनीष जी
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत आभार मनीष जी
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