रविवार

जागो वीर....

रक्त है उबल रहा हृदय अब सुलग रहा
देशभक्ति रगों में जब-जब उबाल मारती
जयचंदों के मुंड अब धड़ों से विलग करो
जागो वीर तुमको माँ भारती पुकारती।

जाति-धर्म के नाम पर देश घायल हो रहा
आरक्षण संरक्षण का देश कायल हो रहा
योग्यता सिसक-सिसक न्याय को गुहारती
जागो वीर तुमको माँ भारती पुकारती।

सिक्को की खनक और नोटों की महक से
न्याय की देवी भी न्याय को है तोलती
अंधे कानून की आँखों की पट्टी नोच दो
जागो वीर तुमको माँ भारती पुकारती।

मर्यादा को भूल शिष्य गुरु पर हावी हो रहा
जन्म का राम अब मुहम्मद भावी हो रहा
नैतिकता और मर्यादा बस पुस्तकें सँवारती
जागो वीर तुमको माँ भारती पुकारती।

शिक्षा के मंदिरों से शिक्षा ही लुप्त है
स्वांग के मसीहा ही ऐसों से तृप्त हैं
फाइलों में बंद हो, सरस्वती पुकारती
जागो वीर तुमको माँ भालती पुकारती।

Related Posts:

  • प्रश्न उत्तरदायित्व का... हम जनता अक्सर रोना रोते हैं कि  सरकार कुछ नहीं करती..पर कभी नहीं… Read More
  • आते हैं साल-दर-साल चले जाते हैं, कुछ कम तो कुछ अधिक सब पर अपना असर छो… Read More
  • दहक रहे हैं अंगार बन इक-इक आँसू उस बेटी के धिक्कार है ऐसी मानवत… Read More
  • 2017 तुम बहुत याद आओगे..... बीते हुए अनमोल वर्षों की तरह 2017 तुम भी… Read More

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह्ह्ह..वाह्ह्ह...ओजपूर्ण... जबर्दस्त.. ऐसे ही उद्गार की आवश्यकता है मालती जी जो आम जन के हृदय से अज्ञानता मिटा कर देशभक्ति का संचरण कर सके।
    बहुत बहुत सुंदर रचना..।👌👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. श्वेता जी इतने प्रभावी तरीके से उत्साहवर्धन के लिए हृदयतल से शुक्रिया🙏🙏

      हटाएं
  2. वाह !!! बेहद शानदार रचना ...लाजवाब !!!

    जवाब देंहटाएं
  3. वर्तमान में जो हो रहा है इसे समझकर भविष्य को जागरूक करती सशक्त रचना

    जवाब देंहटाएं

Thanks For Visit Here.