शनिवार

साहित्यकार के दायित्व

साहित्य सदा निष्पक्ष और सशक्त होता है, यह संस्कृतियों के रूप, गुण, धर्म की विवेचना करता है और  साहित्यकार साहित्य का वह साधक होता है जो शस्त्र बनकर साहित्य की रक्षा साहित्य के द्वारा ही करता है तथा इस साहित्य साधना के लिए वह लेखनी को अपना शस्त्र बनाता है। ऐसी स्थिति में वह साहित्य की शक्ति का प्रयोग लेखनी के माध्यम से करता है। लोग लेखनी के माध्यम से साहित्य की पूजा करते हैं। साहित्य में वह शक्ति है जो संस्कृतियों का सृजन करने में सक्षम है। इसीलिए साहित्यकार बड़े गर्व से अपनी लेखनी को तलवार से अधिक शक्तिशाली कहता है और यह अक्षरशः सत्य भी है। लेखनी में सत्ता पलट देनें की शक्ति होती है, यह मुर्दों में प्राण फूँक देने का माद्दा रखती है बशर्ते कि यह सही हाथ में हो, साहित्यसर्जक यदि अपने ज्ञान का सकारात्मक प्रयोग करें तो नवयुग की रचना करने में भी समर्थ हो सकते हैं। परंतु सकारात्मकता और नकारात्मकता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और यह लेखनी रूपी तलवार दोनों का शस्त्र है इसीलिए इतने सब के बाद भी साहित्य भी आजाद कहाँ?
यह तो मात्र साहित्यकारों के हाथों की कठपुतली बन गया है। अब लेखनी है तो साहित्यकार के हाथ में ही न, साहित्यकार उसको जैसे चाहेगा वैसे ही प्रयोग करेगा, वह सही या गलत जिस पक्ष को भी रखेगा सशक्त होकर रखेगा क्योंकि साहित्यकार जो ठहरा।
साहित्यकार है तो क्या! आखिर है तो एक जीता-जागता मानव मात्र ही न, जिसमें यदि कुछ गुण होते हैं तो कुछ अवगुण भी होते हैं। साहित्य का ज्ञान प्राप्त कर लेने के बाद भी वह मानवीय गुणों अवगुणों से मुक्त नहीं होता। इसीलिए यह आवश्यक नहीं कि हर साहित्यकार की लेखनी सदा सत्य और निष्पक्ष बोलती हो।
तकनीक का जमाना है, सोशल मीडिया का वर्चस्व है देर-सबेर साहित्यकारों के विषय में किसी न किसी माध्यम से जानने को अवश्य मिल जाता है। अभी हाल ही में मैंने एक महिला साहित्यकार का ऑन लाइन इंटरव्यू news tv पर यू-ट्यूब के माध्यम से देखा। जानी मानी साहित्यकार हैं उपन्यास कविताएँ आदि कुल 52  पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं , अतः साहित्य के क्षेत्र में अनुभवी और ज्ञानी भी हैं। परंतु साक्षात्कार की प्रक्रिया के दौरान ज्यों-ज्यों संवाददाता द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब मोहतरमा ने दिए त्यों-त्यों एक साहित्यकार की छवि धुंधली होती गई। साफ-साफ उन्होंने न सिर्फ एक धर्म को इंगित कर उसे कटघरे में खड़ा किया बल्कि उसकी धार्मिक मान्यताओं पर भी प्रहार कर दिया और इतने पर ही बस नहीं किया बल्कि वो राजनीति पर भी चर्चा करते हुए किसी एक ही पार्टी की पक्षधर भी बन गई। उनके जवाब सुनकर मुझे वो साहित्यकार याद हो आए जिन्होंने एक अखलाक की हत्या के कारण अपने अवॉर्ड वापस करके असहिष्णुता का इल्जाम लगाकर पूरी दुनिया में अपने ही देश की छवि धुँधली करने में कोई कोर-कसर न छोड़ी। साहित्य सर्जक भले ही मानव मात्र है परंतु यदि उसने हाथ में कलम पकड़ ली है तो उसकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। फिर वह स्व-हिताय स्व-सुखाय की श्रेणी से बाहर बहुजन-हिताय बहुजन-सुखाय की श्रेणी में आ जाता है।  साहित्यकार का यह दायित्व है कि वह अपने ज्ञान का प्रयोग समाज और देश के हितार्थ करे न कि स्वहितार्थ, उसे चाहिए कि लेखनी से जब सरस धारा बहे तो उसकी निर्मलता को समस्त मानव मन महसूस करे और उस पावन निर्मलता को आत्मसात करे। साधक ऐसा कुछ न करे कि उसके ज्ञान को नकारात्मकता की श्रेणी में रखा जाए। साहित्यिक ज्ञान प्रयोग समाज और देश के हित में हो न कि कुछ गिने-चुने लोगों के हित में या किसी विशेष जाति-धर्म के हित में।
#मालतीमिश्रा

6 टिप्‍पणियां:

  1. साहित्यकार का यह दायित्व है कि वह अपने ज्ञान का प्रयोग समाज और देश के हितार्थ करे न कि स्वहितार्थ, उसे चाहिए कि लेखनी से जब सरस धारा बहे तो उसकी निर्मलता को समस्त मानव मन महसूस करे और उस पावन निर्मलता को आत्मसात करे। साधक ऐसा कुछ न करे कि उसके ज्ञान को नकारात्मकता की श्रेणी में रखा जाए। ..............एकदम सही कहा आपने ...ऐसा ही होना चाहिए एक साहित्यकार ...को

    जवाब देंहटाएं
  2. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  3. साहित्यकार को अपनी जिम्मेवारियों का ध्यान रखना चाहिए और समाज हॉट में कार्य करना चाहिए ... ये उसका कर्तव्य और दायित्व दोनों हैं ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. अपने अनमोल प्रतिक्रिया को साझा करने और ब्लॉग पृ आकर कृतार्थ करने के लिए हृदय से आभार दिगंबर जी🙏🙏

      हटाएं

Thanks For Visit Here.