आजादी के बाद से अबसे दो-ढाई वर्ष पहले तक कांग्रेस ने भारत पर एकछत्र शासन किया अपने साठ से पैंसठ सालों के शासन में कांग्रेस सरकार भारत को न तो यू०एन० में स्थायी सदस्यता दिला सकी और न ही NSG की सदस्यता दिला सकी। जिसका विधानसभा और राज्यसभा में सदा से शासन चला आ रहा था वह भी इतने लम्बे शासन काल में सदस्यता तो दूर सदस्यता के आस-पास भी नहीं पहुँचे और आज जब मोदी जी ने सिर्फ दो से ढाई साल के शासन काल में इतने आंतरिक विरोधों को झेलते हुए NSG सदस्यता के इतने निकट पहुँच गए थे कि सिर्फ एक ही देश के हाँ की आवश्यकता शेष थी और सभी को पता है कि वह देश हमारा शत्रु है फिर भी मोदी जी अकेले प्रयास रत रहे ऐसे में एक असफलता क्या हाथ लगी कि हमारे ही देश के अपने-आप को देशभक्त कहने वाली पार्टियाँ जश्न मनाने लगीं। ये कैसी देशभक्ति है? ये मोदी जी की हार है या देश की हार है......देश की हार पर जश्न मनाने वाले देशभक्त कैसे हो सकते हैं?
हमें तो सराहना करनी चाहिए उस व्यक्ति की जो इतने विरोधों को झेलते हुए भी दिन-रात अपने पथ पर अग्रसर है और स्वयं को देश के विकास के लिए समर्पित कर दिया है। यहाँ भी राजनीति? अरे आपस में चाहे जितना लड़ों परंतु कम-से-कम दूसरे देशों के समक्ष तो एकता दर्शाते। किंतु ऐसा तभी संभव होता जब हमारे देश की राजनीतिक पार्टियों में नाम मात्र को भी देश भक्ति होती। यहाँ सभी सिर्फ सत्ता लोलुप्सा में डूबे हुए हैं, यदि देशभक्ति होती तो इतने दशक न गँवाए होते, जिस सदस्यता के लिए आज प्रयास किया जा रहा है वो तो वर्षों पहले मिल गई होती किंतु उसके लिए जज्बा होना आवश्यक है। अब से पहले के प्रधानमंत्री विदेश यात्राओं पर जाते थे तो उनकी प्राथमिकता देश हितार्थ कार्य नही अपितु पारिवारिक भ्रमण होता था। यही वजह है कि अब मोदी जी के विदेशी दौरों को भ्रमण की दृष्टि से देखा जाता है, जबकि उनकी हर यात्रा से लाभ ही हुआ है। इस यात्रा से भी हमारे देश को चाहे NSG की सदस्यता का लाभ न प्राप्त हुआ हो परंतु कूटनीतिक दृष्टि से लाभ तो फिर भी हुआ है, आज चीन विश्व में अकेला रह गया है क्योंकि सदस्यता के लिए उसने स्वीकृति न देकर अन्य देशों की स्वीकृति की अवहेलना की है तो निश्चय ही उसने स्वयं को अकेला कर लिया है। फिर मोदी जी हारे कहाँ हैं उनकी तो इस हार में भी जीत निहित है उन्होंने देश के बाहर चीन को विश्व के समक्ष नंगा किया है तो देश के भीतर राजनीतिक पार्टियों के देशभक्ति के मुखौटों को हटाकर देश की जनता के समक्ष उनके असली चेहरे उजागर किया है। आज कांग्रेस पार्टी मोदी जी से उनकी असफलता पर जवाब माँग रही है परंतु उसे यह समझ नहीं आता कि उन्होंने नेहरू जी की भाँति देश का कोई टुकड़ा चीन के हवाले नहीं किया तो किस बात का जवाब दें। जब उनके किसी कार्य में इन देशद्रोही पार्टियों का कोई सकारात्मक योगदान नहीं वो सबकुछ अकेले, स्वयं के बलबूते पर कर रहे हैं तो इन पार्टियों के लिए उनकी कोई जवाबदेही क्यों बनेगी? क्यों दें वो जवाब? आज पूरा देश उस व्यक्ति के साथ है जो देश के लिए कार्य करता है जिसने अपने-आप को देश के लिए समर्पित कर दिया है। कोशिश करके हार जाना बगैर कोशिश हार मान लेने से बहुत बेहतर होता है। साथ ही संभावनाएँ कभी समाप्त नहीं होतीं। तो हमें किसी संभावना को अंतिम नहीं मानना चाहिए। जब मोदी जी जैसे कर्मठ नेता हों तो असंभव भी संभव हो सकता है और भविष्य इसका साक्ष्य बनेगा।
जय हिंद
मालती मिश्रा
बहुत अच्छा ब्लॉग है आपका मालती बहिन
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आने के लिए बहुत-बहुत आभार Jangid Bhikam जी, बहुत प्रसन्नता हुई। कृपया मार्गदर्शन और उत्साहवर्धन करते कहें, सकारात्मक आलोचनाओं का भी स्वागत है।
हटाएंये देशद्रोही आपियोंको देशसेही नही, दुनियासे हटाना चाहिए । जो देश के बारेमे गलत सोचते है,उनको पता नही दिल्लीवालोने कैसे चुन लिया । अब पंजाबवालोने इससे सीख लेना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंये देशद्रोही आपियोंको देशसेही नही, दुनियासे हटाना चाहिए । जो देश के बारेमे गलत सोचते है,उनको पता नही दिल्लीवालोने कैसे चुन लिया । अब पंजाबवालोने इससे सीख लेना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर, आप सत्य कह रहे हैं लोगों का सत्य से अवगत होना आवश्यक है।
हटाएंधन्यवाद सर, आप सत्य कह रहे हैं लोगों का सत्य से अवगत होना आवश्यक है।
हटाएंएक और जयचंद और मीरजाफर साथ में नक्सलियों की पढाई की हुई सेना
जवाब देंहटाएंएक और जयचंद और मीरजाफर साथ में नक्सलियों की पढाई की हुई सेना
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसा ही है,धन्यवाद ब्लॉग पर आने के लिए
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