तुम हो मैं हूँ और हमारे बीच है...गहरी खामोशी
खामोशी..
जो बोलती है
पर तुम सुन नहीं पाते
खामोशी जो शिकवा करती है
तुमसे तुम्हारी बेरुखी की
पर तुम अंजान बन जाते हो
खामोशी..
जो रोती है, बिलखती है
पर तुम देख नहीं पाते
खामोशी...
जो माँगती...
खामोशी
