बुधवार

न्यायालय जो भारत की संप्रभुता का संरक्षक है


न्यायालय जो लोकतंत्र की मर्यादा का रक्षक है 
न्यायालय जो भारत की संप्रभुता का संरक्षक है 
न्यायालय जो घावों पर औषधि का लेप लगाता है
 न्यायालय जो पीड़ित को सच्चा इंसाफ दिलाता है
उसी न्याय के मंदिर पर कीचड़ फेंका शैतानों ने 
ओवैसी ने जूता मारा थूक दिया केजरीवालों ने 
जिस मेमन के तार जुड़े थे पाकिस्तानी गलियों में 
जिस मेमन का दाम लगा था दाऊद की रंगरलियों में 
जो मेमन दहशत गर्दों का प्यारा राजदुलारा था 
जो मेमन मुंबई नगरी का कातिल था हत्यारा था 
उस मेमन की फाँसी को नाजायज बोला जाता है 
न्यायालय के निर्णय को मजहब से तौला जाता है 
लोमड़ियाँ भी मुँह में देखो घास दबाए बैठी हैं 
साँपों की औलादें अमृत कलश सजाए बैठी हैं 
सदा बाबरी पर रोए न बोले मथुरा काशी पर 
अफज़ल गुरु पर बोले न बोले सरबजीत की फाँसी पर
अफजल की सजाए मौत को जो हत्या बतलाते हैं 
संसद के हमलावर को जो शहीद कह बुलाते हैं 
खुद के राष्ट्रद्रोह को विचाराभिव्यक्ति बता करके 
मातृभूमि के टुकड़े करने का वो स्वप्न सजाते हैं 
कौए का अंडा इनको अखरोट दिखाई देता है 
भारत की हर परंपरा में खोट दिखाई देता है 
खून मुगलिया जिनके अंदर उनका गौरव गान नहीं 
बजरंगी को छोड़ो ये तो ढंग के भाई जान नहीं 

अज्ञात (copied)

11 टिप्‍पणियां:

  1. Ab to kanoon Ki murti ko ankhon se Patti hta hi deni chahiye..aise hi bel milti rahegi.India ka majak banta rahega.

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  2. मालती जी कानुन को एक दिन एेसा करना ही होगा

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  3. वाह बहुत ही बढ़ियां

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  4. योगेंद्र जी,जी०एस०परमार जी ब्लॉग पर आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आशा करती हूँ कि आगे भी इसीप्रकार उत्साहवर्धन करते रहेंगे

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  5. योगेंद्र जी,जी०एस०परमार जी ब्लॉग पर आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आशा करती हूँ कि आगे भी इसीप्रकार उत्साहवर्धन करते रहेंगे

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  6. बहुत बढ़िया मालती जी.

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  7. बहुत बढ़िया मालती जी.

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  8. धन्यवाद मधूलिका जी

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  9. धन्यवाद मधूलिका जी

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