गुरुवार

पहले तोलो फिर बोलो

पहले तोलो फिर बोलो
बातों का बतंगड़ बनते मैने बहुत देखा है, इसीलिए मेरी बातों को सीमित करती रेखा है। मुझसे जो भी प्रश्न हों करने समक्ष आकर पूछ डालो, अपनी हर शंका का निदान सीधे मुझसे कर डालो। गर इधर-उधर भटकोगे तो एक की चार बातें होंगी, सही उत्तर की खोज में बातों की भूल-भुलैया होगी। जहाँ...

रविवार

देशद्रोह के नए-नए रूप

देशद्रोह के नए-नए रूप
आजादी के बाद से अबसे दो-ढाई वर्ष पहले तक कांग्रेस ने भारत पर एकछत्र शासन किया अपने साठ से पैंसठ सालों के शासन में कांग्रेस सरकार भारत को न तो यू०एन० में स्थायी सदस्यता दिला सकी और न ही NSG की सदस्यता दिला सकी। जिसका विधानसभा और राज्यसभा में सदा से शासन चला आ रहा था...

आजाद परिंदे

आजाद परिंदे
हम नभ के आज़ाद परिंदे पिंजरे में न रह पाएँगे, श्रम से दाना चुगने वालों को कनक निवाले न लुभा पाएँगे। रहने दो मदमस्त हमें जीवन की उलझनों से दूर, जी लेने दो जीवन अपना आजाद, खुशियों से भरपूर। जिनको मानव पा न सका अपने स्वार्थ मे फँसकर, जात-पाँत के जाल में  उलझ...

गुरुवार

मातृभाषा को समर्पित कुछ पल

मातृभाषा को समर्पित कुछ पल
अकस्मात् मस्तिष्क मे विचार आया क्यों न संकुचित विचारों को कुछ विस्तार दिया जाए इस प्रक्रिया हेतु हिन्दी वाचन का अभ्यास किया जाए इन्हीं विचारों में मग्न मैं चली जा रही अपने गन्तव्य की ओर अचानक वातावरण में गूंजने लगा मानवों का मिलाजुला शोर देखा हमने एक त्रिचक्रिका मानव चालित...

सोमवार

दायरों में सिमटी नारी की आधुनिकता

दायरों में सिमटी नारी की आधुनिकता
'आधुनिक नारी' यह शब्द बहुत सुनने को मिलता है। कोई इस शब्द का प्रयोग अपने शक्ति प्रदर्शन के लिए करता है मसलन "मैं आधुनिक नारी हूँ गलत बात बर्दाश्त नहीं कर सकती।" तो दूसरी तरफ कुछ लोग इस शब्द का प्रयोग ताने देने के लिए भी करते हैं, जैसे-"अरे भई ये तो आधुनिक नारी हैं बड़ों...

रविवार

गरिमामयी पदों के गरिमाहीन पदाधिकारी

गरिमामयी पदों के गरिमाहीन पदाधिकारी
उच्च पदों पर सभी पहुँचना चाहते हैं दिन रात कठोर परिश्रम करते हैं ताकि वो अपनी मंजिल पर पहुँच सकें। जिन्हें बचपन से ही सही मार्गदर्शन प्राप्त होता है और वो बचपन में ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं, वो सही मार्गदर्शन में अपने लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर होते हैं। ऐसे...

सोमवार

हमारे अस्तित्व का रक्षक कौन....

हमारे अस्तित्व का रक्षक कौन....
हमारा देश, हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति क्या इन सब के विषय में सोचना सरकार का ही काम है? हम देशवासियों का कोई कर्तव्य नहीं अपने देश और संस्कृति के प्रति..... सचमुच सोचती हूँ तो दुख होता है जब हममें से ही कुछ लोग हमारी ही संस्कृति का मजाक उड़ा रहे होते हैं। वैसे तो हम बहुत...

रविवार

देश हमारा जाग रहा है

देश हमारा जाग रहा है
देश हमारा जाग रहा है  सुनकर मोदी की हुंकार, भेड़िये कोना ढूँढ़ रहे हैं  सुनकर शेर की दहाड़। अपनी पीठ थपकने वाले तो  सियार गीदड़ भी होते हैं, दुनिया जिसका नाम जपे  वो बिरले सिंह ही होते हैं। देश जिसका अनुगमन करे  वो किस्मत वाला होता...

शनिवार

मुफ्त बाँटने वाली चुस्त सरकार......

मुफ्त बाँटने वाली चुस्त सरकार......
जिस प्रकार घर के प्रत्येक सदस्य का अपने घर-परिवार के प्रति कोई न कोई कर्तव्य होता है और हर सदस्य अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी जिम्मेदारी से करता है, उसी प्रकार समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति अपने समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पूरी ईमानदारी से पालन करे...

गुरुवार

राम नाम के वृक्ष

राम नाम के वृक्ष
राम नाम के आजकल वृक्ष उगाए जाते हैं  जिनकी छाँव तले असला-बारूद जुटाए जाते हैं नेहरू जी के नाम पर जवाहर बाग लगाए जाते हैं जिनको आतताइयों के ठिकाने बनाए जाते हैं कैसा युग है अातंकी की सजा अपराध बताए जाते हैं मेहनतकश और देशभक्तों के पुतले जलाए जाते हैं देश विरोधी...

शुक्रवार

याद आता है प्यारा वो गाँव

याद आता है प्यारा वो गाँव
याद आता है पुराना वो पीपल का पेड़ वो नदी का घाट वो छोटे बगीचे में महुआ के नीचे  बिछी हुई खाट  सूरज की तपती दुपहरी की बेला  बाग में बच्चों के रेले पर रेला  तपती दुपहरी में गर्म लू के थपेड़े  पेड़ों की छाँव में वो बकरी वो भेड़ें  बेपरवा...

गुरुवार

जनता अब है जाग रही

जनता अब है जाग रही
जनता को मूर्ख मत समझो जनता तो बहुत सयानी है, अगर मूर्खाधिराज है कोई  वो बस पप्पू अज्ञानी है। चेत जा तू अब बदल तरीका जनता अब है जाग रही, नहला दहला राजा इक्का  तेरे पत्ते सब भाँप रही। असहिष्णुता, दलित विरोधी  सूट बूट सब चाल चली, फिर भी तेरेे मंसूबों...

बुधवार

राजनीति के अच्छे दिन

राजनीति के अच्छे दिन
   शहंशाह क्या होता है? कौन होता है? क्या आज के समय में कोई शहंशाह हो सकता है? ये कोई ऐसे प्रश्न नहीं जिनके जवाब हमें न पता हो, परंतु राजनीति के क्षेत्र में इस शब्द का बार-बार प्रयोग इस प्रकार किया जाना जैसे कि ये जिसे शहंशाह कह देंगे उसे जनता विलेन मानने लगेगी,...