शनिवार

परिंदों का जहाँ शोर हुआ करता था.....

परिंदों का जहाँ शोर हुआ करता था.....
अशांत और भागदौड़ भरा जीवन है नगरों का, पहले हँसता-मुस्कुराता शांत गाँव हुआ करता था। मुर्गे की बाँग और कोकिल के मधुर गीत संग, सूर्योदय के स्वागत में चहल-पहल हुआ करता था। ऊँचे भवन अटारी ढक लेते हैं सूरज को, पहले तो सुरमई भोर हुआ करता था। सिर मटकी धर इठलाती बलखाती...

ईमानदारी से डर

ईमानदारी से डर
ईमानदार व्यक्ति से सभी डरा करते हैं, इसीलिए उससे भरसक दूर ही रहा करते हैं। पर मैंने सोचा जब इसे थोड़ी गहराई से, तो पाया कि लोग व्यक्ति से नही... ईमानदारी से डरा करते हैं। या फिर स्व अंतस में रखा है जिसका गला घोंट, उस आत्मा के ईमान से नजरें चुराया करते हैं। सामने पाकर किसी...

मंगलवार

सोचती हूँ

सोचती हूँ
 मैं नहीं जानती अपने अकेलेपन का कारण अगर मैं ऐसा कहूँ तो शायद खुद को धोखा देना ही होगा। पर..आजतक धोखा देती ही तो चली आई हूँ खुद को पर खुश हूँ कि किसी और को धोखा नहीं दिया पर क्या ये सच है!! क्या सचमुच किसी को धोखा नहीं दिया? नहीं जानती... पर अगर मैं खुश हूँ, तो अकेली...

शनिवार

मिलन की प्यास

मिलन की प्यास
नाजुक पंखुड़ियों पर झिलमिलाते  शबनम से मोती मानो रोई है रजनी जी भर कर  जाने से पहले या अभिनंदन करने को  प्रियतम दिनेश का धोई है इक-इक पंखुड़ी और पत्तों को  पथ में बिछाने से पहले पाकर स्नेहिल स्पर्श  रश्मि रथी की पहली रश्मि पुंजों का खिल-खिल...

बुधवार

प्रधानमंत्री रामलीला देखने गए

प्रधानमंत्री रामलीला देखने गए
PM मोदी लखनऊ के ऐश बाग रामलीला में सम्मिलित होने गए, लखनऊ की जनता के लिए यह हर्ष का अवसर रहा किंतु राजनीतिक पार्टियों के सदस्यों के सीने पर साँप लोट गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से अतिथि सत्कार तो हुआ नहीं चूहे की तरह अपने बिल में दुबक कर प्रेस कांफ्रेस...

जैसा आहार वैसे विचार

जैसा आहार वैसे विचार
सात्विक भोजन मनुष्य के विचारों को भी शुद्ध बनाता है, इसीलिए दया, करुणा, परोपकार, मानवता, औरों के प्रति सम्मान की भावना उन व्यक्तियों में अधिक होती हैं जो सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। उदाहरण के लिए आतंकवाद, देशद्रोह, गद्दारी, धोखेबाजी, हिंसा, अमानवीय व्यवहार, स्वार्थ आदि...

मंगलवार

फैसला

फैसला
करवटें बदलते हुए न जाने कितनी देर हो गई परंतु नियति की आँखों में नींद का नामोंनिशान न था, गली में जल रही स्ट्रीट लाइट का प्रकाश बंद खिड़की के शीशे से छनकर कमरे में एक जीरो वॉट के बल्ब जितनी रोशनी फैला रहा था इसलिए उसने बिना लैंप जलाए हाथ बढ़ाकर बेड के साइड में रखे टेबल...

रविवार

प्रकृति की शोभा

प्रकृति की शोभा
प्रकृति की शोभा...... यह अरुण का दिया ला रहा विहान है, रक्त वर्ण से मानो रंगा हुआ वितान है। पवन मदमस्त हो चली झूमकर लहराती गाती, बिरह वेदना मधुकर की अब मिटने को जाती। अमराई पर झूल-झूल कोकिल मधुर तान सुनाए, महुआ रवि पथ में कोमल पावन कालीन बिछाए देख शोभा...

अनकही

अनकही
बातें अनकही जो सदा रहीं उचित अवसर की तलाश में अवसर न मिला बातों का महत्व समाप्त हुआ मुखारबिंद तक आने से पहले दम तोड़ दिया बोले जाने से पहले ज्यों मुरझाई हो कली विकसित होने से पहले दिल की बात दिल में रही बनकर अनकही शून्य में भटकती रही टीस सी उठती रह दर्द का गुबार उठा सब्र...

शुक्रवार

चलो छेड़ें स्वच्छता अभियान

चलो छेड़ें स्वच्छता अभियान
चलो छेड़ें स्वच्छता अभियान.... बहुत हो चुका तकनीकी ज्ञान छोड़ें स्वार्थ और अभिमान आज सजाएँ मृतप्राय धरा को लगाकर वृक्ष और बागान चलो छेड़ें स्वच्छता अभियान जगे हम लगे जगाने विश्व कल तक थे जो स्वयं सुप्तप्राय होकर अपने बीते गौरवकाल से प्रेरित फिर लगे चलाने नव नव अभियान शुरू...

बुधवार

हिंदुस्तान धन्य हुआ तुम सम प्रधान सेवक पाकर

हिंदुस्तान धन्य हुआ तुम सम प्रधान सेवक पाकर
पथ में आए पाषाण खण्ड को पुष्प बना सौरभ फैलाया बाधा बनने वाले पर्वत ने भी तो तुमको शीश नवाया अदम्य साहस और क्षमता का विश्व से लोहा मनवाया  तुमको शत्रु पुकारा जिसने खुद आईना देख के शरमाया जनता को भरमाते थे जो उनको तुमने अब भरमाया मातृभूमि की सेवा को सर्वोपरि...

रविवार

अन्तर्मन की ध्वनि

अन्तर्मन की ध्वनि
अन्तर्मन की ध्वनि.... उजला, निर्मल दर्पन है मेरा अन्तर्मन छल प्रपंच और स्वार्थ के  कीचड़ में खिलते कमल सम पावन यह मेरा अन्तर्मन दुनिया के रीत भले मन माने अन्तर्मन सच्चाई पहचाने मानवता का सदा थामे दामन यह सच्चा अन्तर्मन मस्तिष्क के निर्णय का आधार है लाभ-हानि के पैमाने अन्तर्मन...