शुक्रवार

चंदा तेरी शीतलता में, रही न अब वो बात। बिन पंखे कूलर के ही जब, मन भाती थी रात।। तेरे संगी साथी तारे, मलिन से रहते हैं। मानव के अत्याचारों को, मन मार सहते हैं।। लहर-लहर जो बहती नदिया, वह भी चुप हो गई। सूखे रेतों की तृष्णा में, लहरें भी खो गईं ।। हरे-भरे वन-कानन खोए,...

गुरुवार

योग हमारी धरोहर

योग हमारी धरोहर
21-06-18 विषय- योग योग शब्द संस्कृत धातु 'युज्' से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है 'जुड़ना' अतः हम कह सकते हैं कि योग आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का कार्य करता है। अलग-अलग ग्रंथों में योग की विभिन्न परिभाषाएँ दी गई हैं। जैसे- विष्णु पुराण के अनुसार - योगः संयोग इत्युक्तः...

मंगलवार

कुण्डलिया छंद

कुण्डलिया छंद
🙏🙏🌺🌹सुप्रभात🌹🌺🙏🙏 श्याम चूनर रजनी की, तन से रहि बिलगाय धरती देखो खिल रही, नव परिधान सजाय।। नव परिधान सजाय, धरा का रूप सुनहरा पुलकित पल्लव पुष्प,जिनपर भ्रमर का पहरा।। मालती हर्षित हुई, खुशियाँ भइ अविराम छवि देखी भोर की, खींच लिया चूनर श्याम।। मालती मिश्रा, दिल्ल...

सोमवार

जाग री विभावरी

जाग री विभावरी
ढल गया सूर्य संध्या हुई अब जाग री तू विभावरी मुख सूर्य का अब मलिन हुआ धरा पर किया विस्तार री लहरा अपने केश श्यामल तारों से उन्हें सँवार री ढल गया सूर्य संध्या हुई अब जाग री तू विभावरी पहने वसन चाँदनी धवल जुगनू से कर सिंगार री खिल उठा नव यौवन तेरा नैन कुसुम खोल निहार...

बुधवार

कहानी हरखू की

कहानी हरखू की
सूरज सिर पर चढ़ आया था लेकिन हरखू और उसका परिवार खेत से घर जाने का नाम ही न ले रहे थे तभी दीना की आवाज आई "अरे हरखू भइया दुपहरी हुई गई काहे धूप में जले जात हो, चलो अब साँझ को आना जूड़े-जूड़े में कर लिहो।" "हाँ भाई तुम चलौ हम अबहीं आय रहे।" कहकर हरखू फिर खेत की गुड़ाई करने...

कहानी हरखू की

कहानी हरखू की
सूरज सिर पर चढ़ आया था लेकिन हरखू और उसका परिवार खेत से घर जाने का नाम ही न ले रहे थे तभी दीना की आवाज आई "अरे हरखू भइया दुपहरी हुई गई काहे धूप में जले जात हो, चलो अब साँझ को आना जूड़े-जूड़े में कर लिहो।" "हाँ भाई तुम चलौ हम अबहीं आय रहे।" कहकर हरखू फिर खेत की गुड़ाई करने...

सोमवार

सुप्रभात🙏🏵️🙏 🌺🌿🌺 🍁🌷🍁 🌻🍂🌹🏵️ अलसाए मन के अंधियारे से प्रात की स्फूर्ति का हुआ जो मिलन नव आस जगा मन मुदित हुआ पाकर नव प्रभा का आचमन पूरब में क्षितिज सिंदूरी हुआ दिवापति दिनकर का हुआ आगमन। फैली  स्वर्णिम आभा चहुँदिश दमक उठा धरती और गगन निस्तेज निष्प्राण हो...

रविवार

मन में उमंगें छाएँ मन हुलसा सा जाए काली रात बीती छाई अरुण की लाली है।। फुनगी पे ओस कण मोती से दमक रहे जी भर के रोई मानो जाती रात काली है।। हरी-हरी चूनर पे कुसुम के मोती सजे देख दिनेश धरा ने चुनरी संभाली है।। कुसुम कुमुदिनी पे मधुप गुंजार करे कुहुक कुहू कोयल गाए मतवाली...

शनिवार

ससुराल

ससुराल
ससुराल निधि कमरे में बैठी मैगजीन के पन्ने पलट रही थी पर मैगजीन पढ़ने में उसका जरा भी मन नहीं लग रहा था, उसका ध्यान तो बाहर हाल में से आ रही आवाजों पर था....जहाँ उसके ससुर जी, सासू माँ और बड़ी ननद सरला के बीच बातचीत हो रही थी। बातचीत भी कहाँ सीधे-सीधे फैसला सुनाया जा रहा...

मंगलवार

आखिरी रास्ता

आखिरी रास्ता
सूर्य अस्तांचल की ओर जा रहा था और गाड़ी विपरीत दिशा में भागी जा रही थी। घूँघट में सहमी सिकुड़ी सी कमला अपने सपनों की दुनिया छोड़ एक ऐसी दुनिया बसाने जा रही थी जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी। ऐसे अनचाहे भविष्य के लिए उसके सपनों की बलि दे दी गई थी, इसीलिए आज ससुराल जाते हुए...
छवि आधारित घनाक्षरी देश का बढ़ाया मान, टीम का है अभिमान क्रिकेट का बादशाह, माही कहलाता है।। पिता का बढ़ाया मान, राँची की वो पहचान विश्वकप का विजेता, देश को बनाता है।। शान्त चित्त रहा सदा, क्रोध जतलाता नहीं अंतस का जोश सब, खेल में दिखाता है।। आदर्श पुत्र व भाई, आदर्श...

रविवार

सुप्रभात🙏 अंधकार मिट रहा निशिचर छिप रहे पूरब दिशा में फैली अरुण की लाली है। तेज को मिटाने वाली निराशा जगाने वाली बुराई की परछाई गई रात काली है। तारागण छिप गए चाँद धुँधला सा हुआ जाती हुई रजनी का हाथ अब खाली है। सभी प्राणी जाग रहे आलस को त्याग रहे पुरवा पवन देखो बही...

शनिवार

लीला भाभी

लीला भाभी
लघु कथा शुचि घर के काम जल्दी-जल्दी निपटा रही थी उसे नौ बजे कॉलेज के लिए निकलना था, दस बजे से उसकी पहली क्लास होती है इसलिए वह सुबह पाँच बजे ही उठ जाती है, पापा आठ बजे ऑफिस के लिए निकल जाते हैं, वह नौ बजे और भाई साढ़े नौ बजे निकलते हैं, इसीलिए आठ बजे तक नाश्ता खाना सब बनाकर,...