सुप्रभात🙏
अंधकार मिट रहा निशिचर छिप रहे
पूरब दिशा में फैली अरुण की लाली है।
तेज को मिटाने वाली निराशा जगाने वाली
बुराई की परछाई गई रात काली है।
तारागण छिप गए चाँद धुँधला सा हुआ
जाती हुई रजनी का हाथ अब खाली है।
सभी प्राणी जाग रहे आलस को त्याग रहे
पुरवा पवन देखो बही मतवाली है।।
मालती मिश्रा, दिल्ली✍️
अंधकार मिट रहा निशिचर छिप रहे
पूरब दिशा में फैली अरुण की लाली है।
तेज को मिटाने वाली निराशा जगाने वाली
बुराई की परछाई गई रात काली है।
तारागण छिप गए चाँद धुँधला सा हुआ
जाती हुई रजनी का हाथ अब खाली है।
सभी प्राणी जाग रहे आलस को त्याग रहे
पुरवा पवन देखो बही मतवाली है।।
मालती मिश्रा, दिल्ली✍️
बिती रात अब भोर सुहानी,
जवाब देंहटाएंसुबह के स्वागत का सुंदर गान मीता।
अप्रतिम।
सस्नेहाभार मीता🙏🙏
हटाएंअति सुन्दर आशा का संचार जगाती प्रभाती ...मालती जी सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुय आभार सखी🙏
हटाएंबहुत अच्छी है......जीवन में एक नई आशा जगती है
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आ०🙏🙏
हटाएंमनोरम भोर दर्शन !!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंआभारम्🙏🙏🙏
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