शुक्रवार

जय हिंद जय हिंद की सेना

जय हिंद जय हिंद की सेना
आज देश में हर घर-घर में मन रही दीवाली है, शत्रुओं की यह रात उनके कर्मों सी अब काली है। वीर शहीद हमारे जिन पर देश नाज करता है, उनके बलिदानों की ज्योति हमने हर हृदय में जला ली है। पितृपक्ष का मास यह पितरों को तर्पण देते हैं, देश के सपूतों ने शहीदों को सच्ची श्रद्धा अर्पण...

गुरुवार

हम दोनो....

हम दोनो....
भूल कर सारे गमों को, क्यों न फिर मुस्काएँ हम दोनो. न था इस अजनबी संसार में कोई अपना कहने को तुम्हारे आने से खिल उठे गुल वीरान गुलशन केे छोड़ कर सब रंज जहाँ के, प्रेम पुष्प खिलाएँ हम दोनो. भूल कर...... मैं पाता था खुद को अकेला इस दुनिया के मेले में तन्हाई डराती थी मुझे...

मंगलवार

तलाश

तलाश
                    पलकों मे नींद न थी मन में न था चैन जाने क्यों हृदय की बढ़ती धड़कनें  होने लगी थीं बेचैन रजनी के नीरव संसार में उसे  धड़कनों की मधुर तान दे रही थी सुनाई निशि दो पहर से अधिक बीतने को...

सोमवार

श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि
सच्ची श्रद्धांजलि के लिए बातों की नही कर्मों की आवश्यकता है, तो क्यों न शहीदों को तन-मन ही नहीं धन से भी श्रद्धांजलि अर्पित करें..... देकर अपने प्राणों की आहुति हमको सुरक्षा दे जाते हैं, रातों की नींद गँवाकर अपनी हमें बेफिक्र सुलाते हैं सर्दी-गर्मी सब झेलते हुए जो सदा...

शिकवे-गिले

शिकवे-गिले
सुबह की मीठी-मीठी सी धूप खिड़की से छनकर कमरे मेंआ रही थी धूप की गरमाहट परिधि को अपने चेहरे पर महसूस हुई तो वह एकाएक उठ बैठी और घड़ी मे समय देखा तो सात बजने वाले थे। वह इतमी देर कभी नहीं सोती पर आज न जाने क्यूँ इतनी देर तक सोती रही, वह कमरे से निकलकर बरामदा पार करती...

शुक्रवार

नैना कितने बावरे

नैना कितने बावरे
नैना कितने बावरे हर पल हर घड़ी नीर भरे दुख हो या अतिरेक खुशी का बिन माँगे मोती बरस पड़े नैना कितने .... नीर भरी बदली नयनों में प्रतिपल अपना राज करे मुस्काते नयनों की चमक को तरल आवरण धुँधला सा करे नैना कितने...... नयनों की भाषा सरल है निःसंकोच सब सत्य...

बुधवार

बदला सैनिकों की शहादत का

बदला सैनिकों की शहादत का
  जम्मू-कश्मीर के 'उरी' मे हुए आतंकी हमले में हमारे 18 जवान शहीद हो गए पूरा देश गुस्से से उबल रहा है। पूरे देश को पाकिस्तान से बदला चाहिए, उनको भी आज बदला चाहिए जो अफजल गुरू, याकूब मेमन और बुरहान वानी को शहीद बताते हैं। उन्हें भी बदला चाहिए जो यह तो कहते हैं कि आतंक...

सोमवार

वक्त गया अब हिंसा का

वक्त गया अब हिंसा का
वक्त गया अहिंसा का हिंसा ने अपनी जड़ें जमाई, अहिंसा के मार्ग पर चलना अब इस युग में कायरता कहलाई। सहिष्णुता और उदारता बस सुनने में शोभा देते हैं, इन राहों पर चलने वाले सदा कटघरे में खड़े होते हैं। दृष्टि रहे सदा लक्ष्य पर राह अपनी सुविधा अनुसार, लक्ष्य...

रविवार

पिघलता अस्तित्व

पिघलता अस्तित्व
अपनी नहीं औरों की खुशी को अपनी खुशी बनाया मैंने, कष्ट औरों की हरने के लिए अपना अस्तित्व मिटाया मैंने। जन्म से युवावस्था के सोपान तक कर्तव्य वहन सीखने में गुजार दिया, बाकी का सारा जीवन स्व त्याग कर अपनों की खुशी पर वार दिया। ज्यों शमा जलकर तिमिर हर लेता त्यों...

शुक्रवार

जीवन तुम पर वार दिया

जीवन तुम पर वार दिया
नन्हें से कदम पहली बार उठे पायल जिस आँगन पहली बार बजे उस आँगन को भी बिसार दिया अपना जीवन तुम पर वार दिया जिस बाबुल से दुनिया में नाम मिला जिस माँ से मेरा अस्तित्व जुड़ा उन जन्मदाताओं का छोड़ प्यार दिया यह जीवन तुम पर निसार किया जिन भाई-बहनों संग किलोल किया मीठी...

बुधवार

हिंदी मेरा है अभिमान

हिंदी मेरा है अभिमान
 मैं अंग्रेजी में खो गई कहीं जो कि मेरा विषय नहीं, अंग्रेजी कौन हो तुम, कहाँ से आई कैसे अपनी जड़ें जमाई। बनकर आई जो मेहमान आज बनी वो सब की शान, खोकर तुम्हारी चकाचौंध में अपनी वाणी का भूले मान। सरलता सहजता और सौम्यता मेरी भाषा की पहचान, मुझको भाती हिंदी...

मंगलवार

मेरो लल्ला नन्हो सो बालक

मेरो लल्ला नन्हो सो बालक
मेरो कान्हा को माखन प्यारो खावन को इत-उत धायो माँ जसुदा ने मटकिन भर धरी है कान्हा जित मन उतनो खायो पर कान्हा तो नटखट ह्वै चले गोपियन के मटकी फोड़न धायो कबहुँ कन्हैया को मन उचट्यो लै ग्वाल-बालन को गोपिन घर घुस आयो इत-उत निरखे मौका देख्यो लै सहार गोपन के छीकौं...

सोमवार

कानून की दुर्बलता से बलात्कारियों का बढ़ता मनोबल

कानून की दुर्बलता से बलात्कारियों का बढ़ता मनोबल
हमारा देश लोकतांत्रिक देश है यहाँ संविधान को सर्वोपरि रखा जाता है, कानून सबके लिए समान है क्योंकि हम गणतंत्र देश के वासी हैं, यहाँ कानून की देवी की आँखों पर पट्टी बंधी है ताकि वह पक्षपात न कर सके और सभी को यथोचित न्याय मिल सके।  परंतु आज के परिप्रेक्ष्य में सवाल...

मंगलवार

जीवन एक किताब है

जीवन एक किताब है
जीवन एक किताब है इसके हर पन्ने पर लिखी एक नई कहानी है शैशवावस्था की किलकारियों से सजा हुआ है इसका पहला पन्ना खुशियों की हँसी  वो चहकती मचलती सी अठखेलियाँ पन्ने के हर हरफ पर लिखी एक नई गुनगुनाती सी लोरी माँ का वो ममता भरा आँचल लड़खड़ाते हुए कदमों को मजबूत...

सोमवार

शिक्षक दिवस

शिक्षक दिवस
पूरे साल में एक दिन ऐसा आता है, जब इस युग का शिक्षक सम्मान पाता है। व्यवस्था और सिस्टम के हाथों  बँधे हुए हैं उसके भाव, शिक्षा कैसे देनी है  यह तय करना भी नहीं उसके हाथ। अन्यथा पूरे वर्ष मूक प्राणी की भाँति  व्यवस्था का  हुकुम बजाता है, जैसा...

रविवार

राह तुम्हारी तकते कान्हा......

राह तुम्हारी तकते कान्हा......
राह तुम्हारी तकते कान्हा मैने अपना स्वत्व मिटाया, काठ सहारा लेते-लेते  काठ-सी ह्वै गई काया। नीर बहा-बहा कर दिन-रैना शुष्क हो गईं अँखियाँ, तुम बिन सुने कौन मेरी बानी कासे करूँ मैं बतियाँ। बिन बोले बिन मुख खोले शुष्क पड़ गई जिह्वा, कर्णों का उपयोग नहीं...