बुधवार

स्मृतियाँ

स्मृतियाँ
स्मृतियों का खजाना, सदा मेरे पास होता है।घूम आती हूँ उन गलियों में, जब भी मन उदास होता है।माँ की वो पुरानी साड़ी का पल्लू,जब मेरे हाथ होता है।माँ के ममता से भीगे आँचल का,स्नेहिल अहसास होता है।बचपन का दामन छूट गया,पर स्मृतियों ने साथ निभाया है।जब भी अकेली पाती हूँ...

गुरुवार

जीने का विज्ञान- योग

जीने का विज्ञान- योग
पार्थ दवाइयों का लिफाफा थैले में डालता हुआ मेडिकल स्टोर से बाहर निकला और वहीं सामने खड़ी अपनी मोटर साइकिल की ओर बढ़ा तभी उसे लगा कि किसी ने उसे पुकारा है, वह वहीं ठिठक गया और इधर-उधर देखने लगा। पार्थ!!दुबारा वही आवाज कानों में पड़ी, इस बार आवाज साफ सुनाई पड़ी तो वह...

मंगलवार

राजनीति का शिकार भारत का किसान

राजनीति का शिकार भारत का किसान
 राजनीति का शिकार भारत का किसान 'किसान'..... इस साधारण से शब्द में एक ऐसी महान छवि समाई हुई है जो संपूर्ण मानव समाज का ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों का भी पोषक है, जो अन्नदाता है। जो स्वयं भूखा रहकर औरों का पेट भरता है, जो स्वयं चीथड़े लपेट औरों के लिए कपास और रेशम तैयार...

शुक्रवार

आजा मैया मेरे द्वार

आजा मैया मेरे द्वार
 मन मेरा माँ रहा पुकारआजा मैया मेरे द्वार।।दुर्भावों का कर संहारभर दे  मैया ज्ञान अपार।।अँखियाँ तुझको रहीं निहारचाहूँ दर्शन बारंबार।।मुझ पर कर मैया उपकारसदा करूँ तेरा सत्कार।।कभी न छूटे तेरा आसतुझमें अटल रहे विश्वास।।मन मेरा तेरा आवासबस तेरी ममता की प्यास।।सदा...

मंगलवार

वो खाली बेंच (नव प्रकाशित पुस्तक)

वो खाली बेंच (नव प्रकाशित पुस्तक)
खाली बेंच के आसपास से शुरू होकर उसी के इर्द-गिर्द घूमती, उसी में सिमटती, उसके खालीपन को पूरित करती और फिर खाली की खाली रह जाती...एक अधूरे जीवन के खाली मन के साथ...क्या इस खाली बेंच की रिक्तता कभी भरेगी...आइए जानते हैं 'वो खाली बेंच' के साथ...जी हाँ मेरी नव प्रकाशित पुस्तक...

प्रतिस्पर्धा या प्यार

प्रतिस्पर्धा या प्यार
अनु आज छः महीने बाद ससुराल से आई है, घर में माँ के अलावा कोई नहीं है, फिरभी चारों ओर अपनापन बिखरा हुआ है। बेटी के लिए तो मायके की मिट्टी के कण-कण में ममता का अहसास होता है। न जाने क्यों शादी से पहले तो ऐसा अहसास कभी नहीं हुआ था अनु को जैसा अब हो रहा था। पहले तो अपने माँ-बाबा...

शुक्रवार

देश के लाल 'लाल बहादुर शास्त्री' को शत-शत वंदन

 देश के लाल 'लाल बहादुर शास्त्री' और बापू जी की जयंती के पावन अवसर पर दोनों को शत-शत वंदन🙏✍️एक लाल है इस देश का तो दूजे इसके पिता बने,अपने मतानुसार दोनों ने, अपने-अपने कर्म चुने।सत्य अहिंसा का इक प्रेरक दूजा कर्मयोग सिखलाए,जय-जवान, जय-किसान का नारा जन-जन तक फैलाए।स्वाधीन...

मंगलवार

जाग री तू विभावरी

जाग री तू विभावरी
 जाग री तू विभावरी..ढल गया सूर्य संध्या हुई अब जाग री तू विभावरी मुख सूर्य का अब मलिन हुआ धरा पर किया विस्तार रीलहरा अपने केश श्यामल तारों से उन्हें सँवार री ढल गया सूर्य संध्या हुई अब जाग री तू विभावरी पहने वसन चाँदनी धवल जुगनू...

रविवार

संस्कारों का कब्रिस्तान बॉलीवुड

संस्कारों का कब्रिस्तान बॉलीवुड
 संस्कारों का कब्रिस्तान बॉलीवुडहमारा देश अपनी गौरवमयी संस्कृति के लिए ही विश्व भर में गौरवान्वित रहा है परंतु हम पाश्चात्य सभ्यता की चकाचौंध में अपनी संस्कृति भुला बैठे और सुसंस्कृत कहलाने की बजाय सभ्य कहलाना अधिक पसंद करने लगे। जिस देश में धन से पहले संस्कारों को...

गुरुवार

रजनी की विदाई

रजनी की विदाई
रजनी के बालों से बिखरे हुएमोती बटोरने,प्राची के प्रांगण में ऊषा स्वर्ण थाल लेकर आई।देखकर दिनकर की स्वर्णिम सवारीतन डाल सुनहरी चूनर रजनी शरमाई।मुखड़ा छिपाया बादलों के मखमली ओट में,संग छिपने को तारक सखियाँ बुलाई।पूरी रात बाट जोहती जिसके आने की,देख उसकी...

बुधवार

समीक्षा- वो खाली बेंच

समीक्षा- वो खाली बेंच
 कहानी संग्रह   *वो खाली बेंच*लेखिका- मालती मिश्रा समीक्षा- रतनलाल मेनारिया 'नीर'मालती मिश्रा जी की कहानी संग्रह की चर्चा करने से पहले इनके परिचय के बारे जानना आवश्यक है। वैसे मालती जी का परिचय देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इनका परिचय खुद इनकी कहानियाँ...

मंगलवार

पुरुष नहीं बनना मुझको

पुरुष नहीं बनना मुझको
स्त्री हूँस्त्री ही रहूँगीपुरुष नहीं बनना मुझकोहे पुरुष!नाहक ही तू डरता हैअसुरक्षित महसूस करता हैमेरे पुरुष बन जाने से।सोच भला...एक सुकोमलफूल सी नारीक्या कंटक बनना चाहेगीअपने मन की सुंदरता कोक्यों कर खोना चाहेगी?ममता भरी हो जिस हृदय मेंक्या द्वेष पालना चाहेगीदुश्मन पर भी...

रविवार

मैं कमजोर नहीं

मैं कमजोर नहीं
मैं एक नारी हूँतुम्हारी दृष्टि में कमजोरक्योंकि मैं अव्यक्त हूँममतामयी हूँकरुणामयी हूँमैं नहीं हारती पुरुष सेहार जाती हूँ खुद सेहृदयहीन नहीं बन पातीस्वहित में किसी काअहित नहीं कर पातीकुदृष्टि डालने वाले कीआँखें नहीं नोचतीक्योंकि उसके दृष्टिहीनताकी पीड़ा की कल्पना...

शनिवार

मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ
 ...मैं नारी हूँ...हाँ मैं नारी हूँनिरीह कमजोरतुम्हारे दया की पात्रतुमसे पहले जगने वालीतुम्हारे बाद सोने वालीतुम्हारी भूख मिटाकरतृप्त करने वालीतुम्हें संतान सुख देने वालीतुम्हारे वंश कोआगे बढ़ाने वालीअहर्निश अनवरततुम्हारी सेवा करने वालीफिर भी तुमसे कुछ न चाहने...

रविवार

अक्षर के संयोग

अक्षर के संयोग
 करना विद्यादान ही, हो जीवन का ध्येय।नेक कर्म यह जो करे, जनम सफल कर लेय।।अक्षर के संयोग से, बने शब्द भंडार।शब्द से फिर वाक्य गढ़ें, बने ज्ञान आधार।।हिन्दी के अक्षर सभी, वैज्ञानिक आधार।उच्चारण लेखन कहीं, तनिक न विचलित भार।।कसौटियों पर शुद्धि के, खरे रहें हर रूप।अंग्रेजी...

व्याधि तू पास क्यों आया

व्याधि तू पास क्यों आया
 जब व्याधि से हो घिरा शरीर, हृदय में चुभते सौ-सौ तीर।रंग नहीं दुनिया के भाए,अपनेपन की चाह सताए।ऐ व्याधि तू पास क्या आयासब अपनों नें रंग दिखाया।जब से तूने मुझको घेरा,मुख मेरे अपनों ने फेरा।मालती मिश्रा 'मयंती...

गुरुवार

सामने वाली बालकनी

सामने वाली बालकनी
 सामने वाली बालकनी अलार्म की आवाज सुनकर निधि की आँख खुल गई और उसने हाथ बढ़ाकर सिरहाने के पास रखे टेबल से मोबाइल उठाकर अलार्म बंद किया। सुबह के पाँच बज रहे थे, वह रोज इसी समय उठ जाती थी पर आज सिर भारी सा हो रहा था। रात को सुजीत से फोन पर ही थोड़ी सी बहस जो हो गई...

सोमवार

मैं...मैं हूँ

मैं...मैं हूँ
 मैं..मैं हूँ...मैं आज की नारी हूँसक्षम और सशक्त हूँशिक्षित और जागृत हूँसंकल्पशील आवृत्ति हूँनारी की सीमाओं सेमान और मर्यादाओं सेपूर्ण रूर्पेण परिचित हूँपरंपरा की वाहक हूँसंस्कृति की साधक हूँघर-बाहर की दायित्वों कीअघोषित संचालक हूँपढ़ी-लिखी परिपूर्ण हूँस्वयं में संपूर्ण...

शनिवार

जयचंदों को आज बता दो

जयचंदों को आज बता दो
व्यथित हृदय मेरा होता थादेख के बार-बार,राष्ट्रवाद को जब जहाँ मैं पाती थी लाचार।संविधान ने हमें दिया हैचयन हेतु अधिकार,राष्ट्रहित के लिए बता दोकिसकी हो सरकार।लालच की विष बेल बो रहेकरके खस्ता हाल,जयचंदों को आज बता दोनहीं गलेगी दाल।चयन हमारा ऐसा जिससेबढ़े देश का मान,विश्वगुरु...

सोमवार

भारत की मौजूदा स्थिति

भारत की मौजूदा स्थिति
 भारत की मौजूदा स्थितियह विषय अत्यंत वृहद् और विचारणीय है। यदि अतीत में भारत की स्थिति देखें तो यह बेहद संपन्न, प्रतिभाशाली और प्रभावशाली रहा है। शैक्षिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी अग्रणी भूमिका का निर्वहन किया, किन्तु सदियों से धार्मिक, आर्थिक, शैक्षणिक और वैचारिक...

बुधवार

पढ़ेगा तभी तो बढ़ेगा इंडिया

पढ़ेगा तभी तो बढ़ेगा इंडिया
 पढ़ेगा तभी तो बढ़ेगा इंडियाभगवान के नाम पर कुछ दे दो भाई, हम बहुत मजबूर हैं, जवान बिटिया है उसकी शादी के लिए कुछ नहीं है, कुछ मदद कर दो बाबा, ओ बहन कुछ दे दो पुण्य मिलेगा, तुम्हें भगवान बहुत देगा, ओ माता दस-बीस रुपया, कपड़ा या अनाज दे दो थोड़ी मदद हो जाएगी.... गली...

सोमवार

बचपन की राखी

बचपन की राखी
रंग बिरंगे धागों से सजी राखी मन को अब भी लुभाती है सच में! वो बचपन की राखी बहुत याद आती है वो भाई संग लड़ना-झगड़ना, राखी नहीं बाधूँगी ऐसी धमकी देना और रंग-बिरंगी राखियों से सजे बाजार देखकर मन ही मन खुश हो जाना भाइयों के लिए सबसे अच्छी राखी चुनना और उसे खरीदने के लिए गुल्लक...

शनिवार

आई सुहानी नागपंचमी

आई सुहानी नागपंचमी
डम डम डमरू बाजे,  गले में विषधर साजे। जटाओं में गंगा मां करतीं हिलोर, आई सुहानी नागपंचमी का भोर। द्वार सम्मुख नाग बने, गोरस का भोग लग। करना कृपा हम पर हे त्रिपुरार, दूर करो जग से कोरोना की मार। सखियों में धूम मची,  धानी चूनर से सजीं। गुड़िया बनाए अति सुंदर...

मंगलवार

ऐ जिंदगी गले लगा ले

ऐ जिंदगी गले लगा ले
ऐ जिंदगी गले लगा ले... विरक्त हुआ मन तुझसे जब भी तूने कसकर पकड़ लिया नई-नई आशाएँ देकर मोहपाश में जकड़ लिया ऐ जिंदगी क्या यही तेरे रंग जिनको मैंने चाहा था तेरे हर इक गम को मैंने गले लगा के निबाहा था भूल के मेरी नादानी को फिर आशा की किरण जगा दे ऐ जिंदगी गले लगा ले। साया...

रविवार

माँ केवल माँ ही होती है

माँ केवल माँ ही होती है
माँ केवल माँ ही होती है.. संतान   हँसे  तो  हँसती  है। मन ही मन खूब विहँसती है।। अपनी नींद त्याग कर माँ तो। शिशु  की नींद सदा सोती है। माँ केवल माँ ही होती है।। खोकर निज अस्तित्व हमेशा शिशु  की पहचान बनाती है। उसके भविष्य की ज्योति...

शुक्रवार

मजदूर दिवस का परिचय

मजदूर दिवस का परिचय
मजदूर दिवस परिचय सुप्रभात कहती मैं सबको मन मे ये लेकर विश्वास। यह प्रभात हर व्यक्ति के जीवन में ले आये उजास।। आओ बच्चों तुम्हें बताएं मजदूर दिवस की बातें खास। श्रमिक दिवस कहते क्यों इसको आओ हम जानें इतिहास।। एक मई सन 1886 की जानो तुम बात। अंतर्राष्ट्रीय तौर पर मजदूर...

मंगलवार

लॉकडाउन में स्त्रियों की स्थिति

लॉकडाउन में स्त्रियों की स्थिति
लॉकडाउन में महिलाओं की स्थिति सोशल मीडिया के दौर में लॉकडाउन पर भी तरह-तरह के विचार तरह-तरह के अनुभव जानने को मिल रहे हैं। सोचती हूँ यही लॉकडाउन अगर अब से दस-पंद्रह वर्ष पहले होता तो उस समय कैसा अनुभव होता। लोग तब भी घरों में ही रहने पर विवश होते जैसे कि आज हैं लेकिन...